Kolkata ke jadu ne shadishuda aurat bna diya 9-15
Real Crossdresser Stories II के पाठकों को आपकी प्यारी माया लियॉन (Maya Leone) का प्यार और नमस्कार।
अब तक आपने पढ़ा..
मैं भी खड़े-खड़े ही अंकल जी के लिंग को पकड़ कर मस्ती भरी सिसकारी लेकर अपनी गुफा पर रगड़ते हुए फनफनाते अजगर जैसे लिंग का आनन्द ले रही थी।
अंकल जी मेरे बूब्स और नितम्बों को दबा सहला रहे थे, वे बोले- डिसूज़ा से सेक्स करने पर कैसा लगा?
अब आगे..
‘डिसूज़ा से सेक्स करने में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा.. मैंने तो बस बात को आगे बढ़ने से रोकने के लिए उसके लिंग से अपनी सिलिकॉन चूत का सामना कराया था.. नहीं तो डिसूज़ा के लिंग पर मैं टॉयलेट तक नहीं करती..’
तभी अंकल जी बोल उठे- लेकिन माया मैं जब खिड़की से देख रहा था.. तो लग रहा था कि तुम भी पूरी तरह अपनी सिलिकॉन चूत को डिसूज़ा को देकर खुलकर डिसूज़ा के लिंग से अपनी सिलिकॉन चूत की ऐसी-तैसी करा रही हो?
‘मैं बस उसका दिल रखने के लिए ऐसा कर रही थी और मैं खुद डिसूज़ा के लिंग से इसलिए खेल रही थी ताकि जल्दी उसका लिंग वीर्य उगले और उससे पीछा छुड़ा कर मैं आपके पास आकर आपके मस्त लिंग से अपनी सिलिकॉन चूत का कचूमर निकलवाऊँ।’
अंकल जी ने इतना सुनते ही मेरी बूब्स को कस कर दबा दिया।
‘आहह्ह.. सिईईई.. थोड़ा धीरे बूब्स दबाओ ना.. उफ्फ्फ्फ आहसी!’
मैं भी अंकल जी के लिंग से खेलती हुई बात कर रही थी।
तभी अंकल जी मेरी सिलिकॉन चूत पर हाथ फेरते हुए मुझे लेकर बेड पर बैठ गए और मेरे होंठों को चूमने चाटने लगे। मैं बस अंकल जी की चौड़ी छाती से चिपकी हुई अंकल जी द्वारा मेरी बॉडी का लिए जाने वाले यौन सुख का आनन्द ले रही थी।
फिर अंकल जी ने मुझको अपनी गोद में लिटा लिया और झुक कर मेरी नाभि वाली जगह पर अपने तेज दांत गाड़ते हुए मेरी नाभि को चूमने चाटने लगे.. ‘आहह्ह्ह्.. उफ्फ..’ करते हुए मैं बस अंकल जी की गोद में मछली सी मचल रही थी।
‘उइअम्म्मा.. सिइइइईई.. क्या आज आपकी नीयत मेरी जान लेने की है.. मेरे अंकल पतिदेव मेरी सिलिकॉन चूत आग की तरह भभक रही है.. आपके लिंग को अन्दर लेने के लिए.. और आप मुझे केवल तड़पा रहे हो..’
‘मेरी माया, तुम्हारी काया को बस चूमने चाटने का मन कर रहा है.. और वैसे भी अभी रात बहुत बाकी है मेरी माया..’ कहते अंकल जी मेरी नाभि को चाटते हुए मेरी सिलिकॉन चूत से लेकर नाभि तक जीभ घुमा रहे थे।
जब उनकी जीभ मेरी सिलिकॉन चूत तक पहुँचती तो मैं नितंब को और ऊपर उठा रस छोड़ती सिलिकॉन चूत को ज्यादा से ज्यादा उनकी जीभ पर रगड़ना चाहती.. पर अंकल जी ने मेरी तड़पती फड़कती सिलिकॉन चूत को तड़पाने की सौगंध खा रखी थी।
तभी अंकल जी धीरे-धीरे चूमते चाटते हुए.. जब वो मेरी सिलिकॉन चूत तक पहुँचे और मेरी सिलिकॉन चूत पर जीभ घुमाते फिराते हुए मेरी चिकनी सिलिकॉन चूत को बहुत बेरहमी से चूमने चाटने लगे। मैं तड़प उठी और फिर जैसे ही अंकल जी मेरी सिलिकॉन चूत से मुँह हटाना चाहा.. मैं अंकल जी के सर पर हाथ रख कर अपनी सिलिकॉन चूत पर दबा कर आहें भरने लगी।
‘आआआ आआअहह आआआ.. ओह माय गॉड अंकल जी.. चूसो मेरी सिलिकॉन चूत.. आआअहह..’
मेरी मस्ती से अब अंकल जी ने भी मेरी सिलिकॉन चूत के निकलते रस को चाटते हुए जैसे ही मेरी सिलिकॉन चूत के होंठों को मुँह में भर कर खींचकर चूसा.. मैंने मछली सी तड़पती हुई अपने नितम्बों को भींचते हुए अपनी बॉडी को उठा सा लिया।
‘आहसीईई.. ऐस्स्स्से.. ही आहसीईई चाटो आहह्ह.. खा जाओ आहह्ह.. मेरी सिलिकॉन चूत..’मैं आहें भरते हुए अंकल जी का हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रखकर दबाने लगी।
मेरा इशारा समझ कर अंकल जी मेरे बूब्स भींचते हुए मेरी सिलिकॉन चूत को पूरी तरह खींच खींचकर चूम-चाट रहे थे।
मेरी कामवासना चरम पर थी..
आज अंकल जी के प्यार का अंदाज बहुत निराला था, वे मुझे पलटकर मेरे नितम्बों और गुदा के चारों तरफ चाटते हुए पीछे से मेरी सिलिकॉन चूत को जब चाटते.. तो उससे मैं सीत्कार उठती और उनका हाथ मेरी पीठ को फेरता सहलाता.. तो कभी मेरे बूब्स को दबाते और नीचे मेरी सिलिकॉन चूत के निकलते रस को पी जाते।
अब उन्होंने मुझे उठने का संकेत किया… मैं जैसे ही उनकी गोद से उठी.. वह बेड पर पीठ के बल लिटाकर मेरे ऊपर लेटकर अपनी बॉडी से और नीचे लिंग से मेरी गुदा और सिलिकॉन चूत को रगड़ने लगे।
मैं बोली- अंकल जी.. अब आप मेरी सिलिकॉन चूत की खुजली मिटा दीजिए.. मैं सेक्स के लिए पागल हो गई हूँ.. बस अब आप अपने मोटे लिंग को मेरी सिलिकॉन चूत में डालकर मेरी सिलिकॉन चूत का भरता बना दीजिए.. अब बिलकुल नहीं रहा जाता.. मेरी सिलिकॉन चूत को आपके लिंग की बहुत जरूरत है।
अंकल जी ने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे बूब्स को पकड़ कर दबाते हुए कहा- मेरी माया.. अभी कुछ देर पहले डिसूज़ा ने तुम्हारी सिलिकॉन चूत का पानी निकाल दिया था और तुम भी डिसूज़ा के लिंग पर झड़ गई थीं.. पर तुम्हारी सिलिकॉन चूत फिर से लिंग के लिए फड़फड़ा रही है..
मैं बोली- जी अंकल जी.. मेरी सिलिकॉन चूत फड़फड़ा रही है.. अपने अंकल जी का लिंग लेने को..
वो- मेरे सपनो की पत्नी.. जरूर.. मैं तुम्हारी सिलिकॉन चूत में लिंग डालूंगा.. क्योंकि तुम तो अब मेरी वैश्या-रखैल हो..
यह कहते हुए अंकल जी ने अपना लिंग पीछे से ही मेरी सिलिकॉन चूत में लगा कर मुझे अपने नितम्बों को उठाने को कहा और मैंने जैसे ही अपने नितम्ब उठाए.. अंकल जी ने एक जोरदार शॉट मार कर अपना पूरा लिंग मेरी सिलिकॉन चूत में उतार दिया।
अंकल जी का लिंग मेरी सिलिकॉन चूत को चीरता हुआ मेरी आँतों से जा टकराया और मैं चीख उठी- आआआ आआहह आआआ.. मार डाला.. अंकल जी.. आप का लिंग.. ओह माई गॉड..
और अंकल जी, लिंग जड़ तक पेले हुए मेरी पीठ और गर्दन पर चूमने लगे, अपना मुँह मेरे कान पर लगा कर गरम-गरम आहें छोड़ते हुए मेरी सिलिकॉन चूत में लिंग दबा दब डालने लगे।
मैं भी उनके हर शॉट पर अपने नितम्ब उठा कर अंकल जी का लिंग सिलिकॉन चूत में समा लेती।
अंकल जी के लिंग के अंडाशय का हर टकराव जब मेरे नितम्बों और लिंग की मार सिलिकॉन चूत पर पड़ती.. तो ‘थपथपथप-थपथपथप’ की आवाज से रूम गूँज उठता।
अंकल जी काफी देर पीछे से लिंग पेलते रहे और मैं नितम्ब उठाकर लिंग लेते हुए झड़ती रही।
‘आहह्ह.. उइइइइ.. आहसीईई..आहह्ह.. उइइइइ.. मैं गग्गईईईईईई.. आह मेरे पतिदेव.. चोदो..’
लेकिन तभी अंकल जी ने मेरी झड़ती सिलिकॉन चूत से लिंग को बाहर खींच लिया.. मेरी सिलिकॉन चूत अभी पूरी झड़ी नहीं थी। मैं उनकी इस शरारत से बौखला उठी- न..न..न.. न्नहहींहींहीं.. यहह्ह.. क्क्क्क्याया कर रहे हैं.. चोदो न.. मैं झड़ रही हूँ…
पर अंकल जी को जैसे सुनाई ही नहीं दे रहा था और अंकल जी ने मुझे पीठ के बल पलट दिया।
मैं आधी अधूरी झड़ी सिलिकॉन चूत को अपने हाथों से भींचकर पूरी तरह झड़ना चाहती थी। तभी अंकल जी ने मेरा हाथ सिलिकॉन चूत से हटाकर एक बार फिर लिंग मेरी सिलिकॉन चूत पर लगा कर शॉट मारते हुए सिलिकॉन चूत में लिंग पेल कर (हुमुच-हुमुच-हुमुच-हुमुच) कर मेरी सिलिकॉन चूत चोदने लगे।
मैं अंकल जी से बोलने लगी- आह्ह.. डाल दे न जुल्मी जालिम.. मेरी आधी झड़ी सिलिकॉन चूत में लिंग.. आहह्ह्ह्.. चोद पूरी तरह निचोड़कर झाड़ दे.. आहह्ह्ह्..आहह्ह्ह्.. सिईईईई.. उईई उईई आहह्ह..
अंकल जी शॉट पर शॉट लगाते रहे और सिलिकॉन चूत फच-फचफचाती रही। एक बार फिर मेरी आधी झड़ी सिलिकॉन चूत झड़ने लगी- ‘आहह्ह्ह.. मेरा तो हो गया.. लगाओ शॉट आहसीईई..आहसीईई.. चोदो.. मारो मेरी सिलिकॉन चूत.. आहह मैं बड़बड़ाती रही और अंकल जी लिंग पेलते रहे।
मैं पूरी तरह झड़कर अंकल जी से लिपट कर झड़ी सिलिकॉन चूत पर लिंग की चोट खाती रही, पर आज ना जाने क्यों अंकल जी झड़ ही नहीं रहे थे।
काफी देर तक सिलिकॉन चूत को रौंदने के बाद अंकल जी भी अपना वीर्य मेरी सिलिकॉन चूत में छोड़ने लगे।
उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर कर एक अंतिम शॉट लगाकर लिंग जड़ तक डालकर अपने वीर्य को मेरी सिलिकॉन चूत में ही डाल दिया।
आज सारी रात अंकल जी ने बहुत बार सिलिकॉन चूत की चुदाई की और मैं चुदाई से थककर अंकल जी की बाँहों में ही सो गई।
कहानी कैसी लग रही है.. जरूर बताइएगा।
आप को मेरी जीवन पर आधारित कहानी Real Crossdresser Stories II पर मिलती रहेगी.. मुझे खुशी है कि मेरी कहानी पढ़ने के पश्चात आपका वीर्य निकलता है।
आपकी माया लियॉन (Maya Leone)
Real Crossdresser Stories II के पाठकों को आपकी प्यारी माया लियॉन (Maya Leone) का प्यार और नमस्कार।
अब तक आपने पढ़ा..
मैं भी खड़े-खड़े ही अंकल जी के लिंग को पकड़ कर मस्ती भरी सिसकारी लेकर अपनी गुफा पर रगड़ते हुए फनफनाते अजगर जैसे लिंग का आनन्द ले रही थी।
अंकल जी मेरे बूब्स और नितम्बों को दबा सहला रहे थे, वे बोले- डिसूज़ा से सेक्स करने पर कैसा लगा?
अब आगे..
‘डिसूज़ा से सेक्स करने में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा.. मैंने तो बस बात को आगे बढ़ने से रोकने के लिए उसके लिंग से अपनी सिलिकॉन चूत का सामना कराया था.. नहीं तो डिसूज़ा के लिंग पर मैं टॉयलेट तक नहीं करती..’
तभी अंकल जी बोल उठे- लेकिन माया मैं जब खिड़की से देख रहा था.. तो लग रहा था कि तुम भी पूरी तरह अपनी सिलिकॉन चूत को डिसूज़ा को देकर खुलकर डिसूज़ा के लिंग से अपनी सिलिकॉन चूत की ऐसी-तैसी करा रही हो?
‘मैं बस उसका दिल रखने के लिए ऐसा कर रही थी और मैं खुद डिसूज़ा के लिंग से इसलिए खेल रही थी ताकि जल्दी उसका लिंग वीर्य उगले और उससे पीछा छुड़ा कर मैं आपके पास आकर आपके मस्त लिंग से अपनी सिलिकॉन चूत का कचूमर निकलवाऊँ।’
अंकल जी ने इतना सुनते ही मेरी बूब्स को कस कर दबा दिया।
‘आहह्ह.. सिईईई.. थोड़ा धीरे बूब्स दबाओ ना.. उफ्फ्फ्फ आहसी!’
मैं भी अंकल जी के लिंग से खेलती हुई बात कर रही थी।
तभी अंकल जी मेरी सिलिकॉन चूत पर हाथ फेरते हुए मुझे लेकर बेड पर बैठ गए और मेरे होंठों को चूमने चाटने लगे। मैं बस अंकल जी की चौड़ी छाती से चिपकी हुई अंकल जी द्वारा मेरी बॉडी का लिए जाने वाले यौन सुख का आनन्द ले रही थी।
फिर अंकल जी ने मुझको अपनी गोद में लिटा लिया और झुक कर मेरी नाभि वाली जगह पर अपने तेज दांत गाड़ते हुए मेरी नाभि को चूमने चाटने लगे.. ‘आहह्ह्ह्.. उफ्फ..’ करते हुए मैं बस अंकल जी की गोद में मछली सी मचल रही थी।
‘उइअम्म्मा.. सिइइइईई.. क्या आज आपकी नीयत मेरी जान लेने की है.. मेरे अंकल पतिदेव मेरी सिलिकॉन चूत आग की तरह भभक रही है.. आपके लिंग को अन्दर लेने के लिए.. और आप मुझे केवल तड़पा रहे हो..’
‘मेरी माया, तुम्हारी काया को बस चूमने चाटने का मन कर रहा है.. और वैसे भी अभी रात बहुत बाकी है मेरी माया..’ कहते अंकल जी मेरी नाभि को चाटते हुए मेरी सिलिकॉन चूत से लेकर नाभि तक जीभ घुमा रहे थे।
जब उनकी जीभ मेरी सिलिकॉन चूत तक पहुँचती तो मैं नितंब को और ऊपर उठा रस छोड़ती सिलिकॉन चूत को ज्यादा से ज्यादा उनकी जीभ पर रगड़ना चाहती.. पर अंकल जी ने मेरी तड़पती फड़कती सिलिकॉन चूत को तड़पाने की सौगंध खा रखी थी।
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तभी अंकल जी धीरे-धीरे चूमते चाटते हुए.. जब वो मेरी सिलिकॉन चूत तक पहुँचे और मेरी सिलिकॉन चूत पर जीभ घुमाते फिराते हुए मेरी चिकनी सिलिकॉन चूत को बहुत बेरहमी से चूमने चाटने लगे। मैं तड़प उठी और फिर जैसे ही अंकल जी मेरी सिलिकॉन चूत से मुँह हटाना चाहा.. मैं अंकल जी के सर पर हाथ रख कर अपनी सिलिकॉन चूत पर दबा कर आहें भरने लगी।
‘आआआ आआअहह आआआ.. ओह माय गॉड अंकल जी.. चूसो मेरी सिलिकॉन चूत.. आआअहह..’
मेरी मस्ती से अब अंकल जी ने भी मेरी सिलिकॉन चूत के निकलते रस को चाटते हुए जैसे ही मेरी सिलिकॉन चूत के होंठों को मुँह में भर कर खींचकर चूसा.. मैंने मछली सी तड़पती हुई अपने नितम्बों को भींचते हुए अपनी बॉडी को उठा सा लिया।
‘आहसीईई.. ऐस्स्स्से.. ही आहसीईई चाटो आहह्ह.. खा जाओ आहह्ह.. मेरी सिलिकॉन चूत..’मैं आहें भरते हुए अंकल जी का हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रखकर दबाने लगी।
मेरा इशारा समझ कर अंकल जी मेरे बूब्स भींचते हुए मेरी सिलिकॉन चूत को पूरी तरह खींच खींचकर चूम-चाट रहे थे।
मेरी कामवासना चरम पर थी..
आज अंकल जी के प्यार का अंदाज बहुत निराला था, वे मुझे पलटकर मेरे नितम्बों और गुदा के चारों तरफ चाटते हुए पीछे से मेरी सिलिकॉन चूत को जब चाटते.. तो उससे मैं सीत्कार उठती और उनका हाथ मेरी पीठ को फेरता सहलाता.. तो कभी मेरे बूब्स को दबाते और नीचे मेरी सिलिकॉन चूत के निकलते रस को पी जाते।
अब उन्होंने मुझे उठने का संकेत किया… मैं जैसे ही उनकी गोद से उठी.. वह बेड पर पीठ के बल लिटाकर मेरे ऊपर लेटकर अपनी बॉडी से और नीचे लिंग से मेरी गुदा और सिलिकॉन चूत को रगड़ने लगे।
मैं बोली- अंकल जी.. अब आप मेरी सिलिकॉन चूत की खुजली मिटा दीजिए.. मैं सेक्स के लिए पागल हो गई हूँ.. बस अब आप अपने मोटे लिंग को मेरी सिलिकॉन चूत में डालकर मेरी सिलिकॉन चूत का भरता बना दीजिए.. अब बिलकुल नहीं रहा जाता.. मेरी सिलिकॉन चूत को आपके लिंग की बहुत जरूरत है।
अंकल जी ने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे बूब्स को पकड़ कर दबाते हुए कहा- मेरी माया.. अभी कुछ देर पहले डिसूज़ा ने तुम्हारी सिलिकॉन चूत का पानी निकाल दिया था और तुम भी डिसूज़ा के लिंग पर झड़ गई थीं.. पर तुम्हारी सिलिकॉन चूत फिर से लिंग के लिए फड़फड़ा रही है..
मैं बोली- जी अंकल जी.. मेरी सिलिकॉन चूत फड़फड़ा रही है.. अपने अंकल जी का लिंग लेने को..
वो- मेरे सपनो की पत्नी.. जरूर.. मैं तुम्हारी सिलिकॉन चूत में लिंग डालूंगा.. क्योंकि तुम तो अब मेरी वैश्या-रखैल हो..
यह कहते हुए अंकल जी ने अपना लिंग पीछे से ही मेरी सिलिकॉन चूत में लगा कर मुझे अपने नितम्बों को उठाने को कहा और मैंने जैसे ही अपने नितम्ब उठाए.. अंकल जी ने एक जोरदार शॉट मार कर अपना पूरा लिंग मेरी सिलिकॉन चूत में उतार दिया।
अंकल जी का लिंग मेरी सिलिकॉन चूत को चीरता हुआ मेरी आँतों से जा टकराया और मैं चीख उठी- आआआ आआहह आआआ.. मार डाला.. अंकल जी.. आप का लिंग.. ओह माई गॉड..
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और अंकल जी, लिंग जड़ तक पेले हुए मेरी पीठ और गर्दन पर चूमने लगे, अपना मुँह मेरे कान पर लगा कर गरम-गरम आहें छोड़ते हुए मेरी सिलिकॉन चूत में लिंग दबा दब डालने लगे।
मैं भी उनके हर शॉट पर अपने नितम्ब उठा कर अंकल जी का लिंग सिलिकॉन चूत में समा लेती।
अंकल जी के लिंग के अंडाशय का हर टकराव जब मेरे नितम्बों और लिंग की मार सिलिकॉन चूत पर पड़ती.. तो ‘थपथपथप-थपथपथप’ की आवाज से रूम गूँज उठता।
अंकल जी काफी देर पीछे से लिंग पेलते रहे और मैं नितम्ब उठाकर लिंग लेते हुए झड़ती रही।
‘आहह्ह.. उइइइइ.. आहसीईई..आहह्ह.. उइइइइ.. मैं गग्गईईईईईई.. आह मेरे पतिदेव.. चोदो..’
लेकिन तभी अंकल जी ने मेरी झड़ती सिलिकॉन चूत से लिंग को बाहर खींच लिया.. मेरी सिलिकॉन चूत अभी पूरी झड़ी नहीं थी। मैं उनकी इस शरारत से बौखला उठी- न..न..न.. न्नहहींहींहीं.. यहह्ह.. क्क्क्क्याया कर रहे हैं.. चोदो न.. मैं झड़ रही हूँ…
पर अंकल जी को जैसे सुनाई ही नहीं दे रहा था और अंकल जी ने मुझे पीठ के बल पलट दिया।
मैं आधी अधूरी झड़ी सिलिकॉन चूत को अपने हाथों से भींचकर पूरी तरह झड़ना चाहती थी। तभी अंकल जी ने मेरा हाथ सिलिकॉन चूत से हटाकर एक बार फिर लिंग मेरी सिलिकॉन चूत पर लगा कर शॉट मारते हुए सिलिकॉन चूत में लिंग पेल कर (हुमुच-हुमुच-हुमुच-हुमुच) कर मेरी सिलिकॉन चूत चोदने लगे।
मैं अंकल जी से बोलने लगी- आह्ह.. डाल दे न जुल्मी जालिम.. मेरी आधी झड़ी सिलिकॉन चूत में लिंग.. आहह्ह्ह्.. चोद पूरी तरह निचोड़कर झाड़ दे.. आहह्ह्ह्..आहह्ह्ह्.. सिईईईई.. उईई उईई आहह्ह..
अंकल जी शॉट पर शॉट लगाते रहे और सिलिकॉन चूत फच-फचफचाती रही। एक बार फिर मेरी आधी झड़ी सिलिकॉन चूत झड़ने लगी- ‘आहह्ह्ह.. मेरा तो हो गया.. लगाओ शॉट आहसीईई..आहसीईई.. चोदो.. मारो मेरी सिलिकॉन चूत.. आहह मैं बड़बड़ाती रही और अंकल जी लिंग पेलते रहे।
मैं पूरी तरह झड़कर अंकल जी से लिपट कर झड़ी सिलिकॉन चूत पर लिंग की चोट खाती रही, पर आज ना जाने क्यों अंकल जी झड़ ही नहीं रहे थे।
काफी देर तक सिलिकॉन चूत को रौंदने के बाद अंकल जी भी अपना वीर्य मेरी सिलिकॉन चूत में छोड़ने लगे।
उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर कर एक अंतिम शॉट लगाकर लिंग जड़ तक डालकर अपने वीर्य को मेरी सिलिकॉन चूत में ही डाल दिया।
आज सारी रात अंकल जी ने बहुत बार सिलिकॉन चूत की चुदाई की और मैं चुदाई से थककर अंकल जी की बाँहों में ही सो गई।
कहानी कैसी लग रही है.. जरूर बताइएगा।
आप को मेरी जीवन पर आधारित कहानी Real Crossdresser Stories II पर मिलती रहेगी.. मुझे खुशी है कि मेरी कहानी पढ़ने के पश्चात आपका वीर्य निकलता है।
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