Kolkata ke
jadu ne shadishuda aurat bna diya 8-14
अब तक आपने
पढ़ा..
डिसूज़ा ने बेड के नीचे उतर कर मुझे बेड के किनारे खींच लिया और पलट दिया। अब वो मेरे पीछे से लिंग घुसाकर सिलिकॉन चूत चोदने लगा। मेरी सिलिकॉन चूत एक आखिरी झटके पर ही ‘फलफला’ उठी और मैं चादर भींच कर डिसूज़ा के झटके पर नितम्बो को दबाते हुए उसके लिंग पर झड़ने लगी ‘आहसीईई.. आहह्ह्ह.. मैं गई..’
पर डिसूज़ा भी मेरी झड़ी हुई सिलिकॉन चूत की चुदाई काफी देर तक करता रहा।
फिर एक टाइम ऐसा आया.. जब डिसूज़ा मेरी पीठ से चिपक कर मेरी सिलिकॉन चूत में झड़ने लगा।
‘ले माया.. मेरे सपनो की पत्नी.. आहह्ह्ह.. मैंने भी तेरी सिलिकॉन चूत में अपना वीर्य डाल दिया.. आह्ह..’ वो ये कहकर हाँफने लगा।
फिर एक टाइम ऐसा आया.. जब डिसूज़ा मेरी पीठ से चिपक कर मेरी सिलिकॉन चूत में झड़ने लगा।
‘ले माया.. मेरे सपनो की पत्नी.. आहह्ह्ह.. मैंने भी तेरी सिलिकॉन चूत में अपना वीर्य डाल दिया.. आह्ह..’ वो ये कहकर हाँफने लगा।
अब आगे..
डिसूज़ा मेरी ज़ोरदार
चुदाई करके और
मेरी सिलिकॉन चूत को
वीर्य से भर
दिया। अब वो
सुस्त होकर मेरी
बगल में लेट
गया और मेरे
नितम्बो को सहलाते
हुए बोला- माया
वाकयी आप एक
गरम और जबरदस्त
चुदक्कड़ चीज़ हो..
अगर आप अनुमति
दें तो आप
की करारी गदराई
गांड को भी
चोद लूँ.. एक
बार फिर आप
के हुस्न के
नशे का शोषण करना
चाहता हूँ।
‘अभी नहीं.. क्योंकि वैसे
ही आपने मेरी
सिलिकॉन चूत चोदकर मुझे थका
दिया.. और अन्दर
अंकल जी भी हैं…
अगर उन्होंने हमें
साथ में देख
लिया.. तो मेरे
घर पर आपकी
यह लास्ट नाईट होगी..
और फिर आप
मेरे हुस्न को अपनी
आगोश में लेने के लिए तरसते
रह जाओगे।’
मैंने बेड से उठकर डिसूज़ा को जबरदस्ती कमरे से निकाल कर डिसूज़ा को चेतावनी दे दी.. कि अगर हर रात और दिन मुझे अपनी आगोश में लेना है.. तो अब मेरे रूम में मत आना और जब मैं इशारा दिया करूँ.. तभी मेरे करीब आना, और अब जाकर सो जाओ।
मैंने बेड से उठकर डिसूज़ा को जबरदस्ती कमरे से निकाल कर डिसूज़ा को चेतावनी दे दी.. कि अगर हर रात और दिन मुझे अपनी आगोश में लेना है.. तो अब मेरे रूम में मत आना और जब मैं इशारा दिया करूँ.. तभी मेरे करीब आना, और अब जाकर सो जाओ।
यह कहते हुए
मैं अन्दर से
गेट बंद करके
साँसों को नियंत्रित
करने लगी। मैंने
डिसूज़ा को जानबूझ
कर यह कही
थी.. क्योंकि अभी
मुझे अंकल जी के
पास जाना था
और अगर डिसूज़ा
से ऐसा ना
कहती तो हो
सकता था कि
वह फिर मेरे रूम
में आ जाता
और मुझे ना
पाकर ढूंढता और
मैं अंकल जी की आगोश
में अपने आप को न्योछावर करते पकड़ी
जाती..
मैं कुछ देर
आराम करने के
बाद अपने रूम से
निकली और डिसूज़ा
के करीब जाकर
देखा.. डिसूज़ा जाग रहा
था। मुझे देख
कर बोला- क्या
माया.. तुम फिर
चुदने को फड़क
रही हो क्या?
मैं हड़बड़ा उठी.. पर झूठ बना कर बोली- मैं यह देखने आई थी कि कुछ चाहिए तो नहीं.. और इधर का बल्ब भी जल रहा था।
यह कहते हुए मैं बटन ऑफ करके ‘गुडनाइट’ कहकर अपने रूम की तरफ चल दी.. पर कुछ आगे जाकर अंकल जी की तरफ घूम गई।
मैं हड़बड़ा उठी.. पर झूठ बना कर बोली- मैं यह देखने आई थी कि कुछ चाहिए तो नहीं.. और इधर का बल्ब भी जल रहा था।
यह कहते हुए मैं बटन ऑफ करके ‘गुडनाइट’ कहकर अपने रूम की तरफ चल दी.. पर कुछ आगे जाकर अंकल जी की तरफ घूम गई।
मैं यह सब
जान कर कि
डिसूज़ा को असमंजस
करने को कर
रही थी। मैं
अंकल जी के सामने
वाले गेट से
न जाकर मैं
गलियारे की ओर
बढ़ गई.. क्योंकि
अंकल जी वाले रूम
में दो गेट
लगे थे। एक
सामने से.. दूसरा
गलियारे की ओर
से खुलता था..
जो बाहर से
ही बंद था।
जिसे मैं आसानी
से खोल कर
बिना आहट अन्दर
जा सकती थी।
यही मैंने किया भी.. मैं अन्दर पहुँच कर गेट बंद करके बेड की ओर बढ़ गई। मैंने अंधेरे में टटोल कर देखा तो अंकल जी बिलकुल नग्न लेटे थे और शायद सो भी गए थे क्योंकि मेरे छूने से कोई हरकत नहीं हुई। मैं सीधे उनके सोये लिंग को मुँह में भर कर चूसने लगी।
यही मैंने किया भी.. मैं अन्दर पहुँच कर गेट बंद करके बेड की ओर बढ़ गई। मैंने अंधेरे में टटोल कर देखा तो अंकल जी बिलकुल नग्न लेटे थे और शायद सो भी गए थे क्योंकि मेरे छूने से कोई हरकत नहीं हुई। मैं सीधे उनके सोये लिंग को मुँह में भर कर चूसने लगी।
मेरे ऐसा करने
से अंकल जी उठ
गए.. और मेरे
सर पर हाथ
रखकर मेरा सर
अपने लिंग पर
दबाते हुए बोले-
आ गई माया..
आह.. मेरी जान..
मैं तो तुम्हारी
इसी अदा का
तो दास हूँ..
तुम किसी एक
के लिए नहीं
हो.. तुम्हारी सिलिकॉन
चूत और हुस्न केवल जीतू (
मेरा पति ) के लिए ही
नहीं बना है..
यह मेरे जैसे
हुस्न के तराशियों
के लिए भी
है.. इसे लोग
जितना भोगेंगे.. उतना
ही यह हुस्न
निखरेगा..
मैं उनका लिंग
चूसते हुए अंकल जी
की बात सुन
रही थी, मैं
सुपारे को खींचकर
चूसते हुए लिंग
मुँह से निकाल
कर बोली- आप
तो अनुपयुक्त ही
मेरी तारीफ कर
रहे हैं.. क्या
मैं सच में
इतनी सुन्दर मस्त माल हूँ?
‘यस मेरी माया.. तुम्हारी हर एक अदा घायल करने के लिए काफी है..
‘ओह.. तो देखिए.. अब मेरी हॉट अदा..’ और मैं खड़ी होकर अंकल जी के मुँह को खींच कर अपनी सिलिकॉन चूत पर लगाकर चूत को फैलाकर बोली- लो.. इसे चाटो..
‘यस मेरी माया.. तुम्हारी हर एक अदा घायल करने के लिए काफी है..
‘ओह.. तो देखिए.. अब मेरी हॉट अदा..’ और मैं खड़ी होकर अंकल जी के मुँह को खींच कर अपनी सिलिकॉन चूत पर लगाकर चूत को फैलाकर बोली- लो.. इसे चाटो..
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मेरा इतना कहना
और करना अंकल जी
के लिए जैसे
खजाने के भंडार खुलना जैसा हो
गया और वो
मेरी सिलिकॉन चूत को
चूसने-चाटने लगे।
अंकल जी मेरी सिलिकॉन चूत को पूरी तरह से मुँह में भरकर चूस रहे थे। कुछ देर चूसने के बाद मेरी सिलिकॉन चूत के ऊपर से चूमते हुए मेरी नाभि को चाटते हुए मेरी चूचियों के निप्पलों को चाटते हुए मेरे होंठों को मुँह में लेकर अपने जीभ को मेरी मुँह में भर दिए। मै नाभि और चूचियों के निप्पल पर गुलाब रस मलती हूँ, जिसके कारण दोनों का स्वाद और महक गुलाब जैसा हो जाता है | मुझे अंकल जी के मुँह का स्वाद कुछ तीखा, खट्टा सा लगा।
अंकल जी मेरी सिलिकॉन चूत को पूरी तरह से मुँह में भरकर चूस रहे थे। कुछ देर चूसने के बाद मेरी सिलिकॉन चूत के ऊपर से चूमते हुए मेरी नाभि को चाटते हुए मेरी चूचियों के निप्पलों को चाटते हुए मेरे होंठों को मुँह में लेकर अपने जीभ को मेरी मुँह में भर दिए। मै नाभि और चूचियों के निप्पल पर गुलाब रस मलती हूँ, जिसके कारण दोनों का स्वाद और महक गुलाब जैसा हो जाता है | मुझे अंकल जी के मुँह का स्वाद कुछ तीखा, खट्टा सा लगा।
‘यह कैसा स्वाद
है?’
मेरे ध्यान में आते ही मेरे दिल कि धडकन बढ़ गई.. कहीं अंकल जी भी इस स्वाद को समझ ना चुके हों.. और समझ गए हों.. अभी वे पूछेंगे तो मैं क्या कहूँगी?
तभी उन्होंने मुझे चूमना चाटना छोड़ दिया.. और बोले- माया क्या हुआ.. कहाँ खोई हो?
‘कहीं नहीं..’ मैं कहते हुए अंकल जी के होंठ को चूमने के लिए आगे हुई.. तभी अंकल जी बोल उठे- कैसा स्वाद है मेरे होंठों का.. और मुँह का.?
मैं उनके ये पूछते ही चुपचाप रह गई.. क्या कहूँ..?
‘अच्छा है.. जैसा सेक्स में होता है..’ मैं यह एक ही सांस में बोल उठी।
मेरे ध्यान में आते ही मेरे दिल कि धडकन बढ़ गई.. कहीं अंकल जी भी इस स्वाद को समझ ना चुके हों.. और समझ गए हों.. अभी वे पूछेंगे तो मैं क्या कहूँगी?
तभी उन्होंने मुझे चूमना चाटना छोड़ दिया.. और बोले- माया क्या हुआ.. कहाँ खोई हो?
‘कहीं नहीं..’ मैं कहते हुए अंकल जी के होंठ को चूमने के लिए आगे हुई.. तभी अंकल जी बोल उठे- कैसा स्वाद है मेरे होंठों का.. और मुँह का.?
मैं उनके ये पूछते ही चुपचाप रह गई.. क्या कहूँ..?
‘अच्छा है.. जैसा सेक्स में होता है..’ मैं यह एक ही सांस में बोल उठी।
पर शायद अंकल
जी संतुष्ट नहीं हुए..
अंकल जी बोले- मैं बताऊँ..
यह मर्द के
वीर्य का स्वाद
है.. सही कहा
ना मैंने?
‘नहीं.. ऐसा तो नहीं है.. आपका शक ठीक नहीं है.. कौन चोदेगा मुझे?
‘शायद डिसूज़ा ने चोद दिया हो?’
‘यह आप क्या कह रहे? मैं थोड़ा नाराज स्वर में बोल उठी।
‘नहीं.. ऐसा तो नहीं है.. आपका शक ठीक नहीं है.. कौन चोदेगा मुझे?
‘शायद डिसूज़ा ने चोद दिया हो?’
‘यह आप क्या कह रहे? मैं थोड़ा नाराज स्वर में बोल उठी।
‘ऐसा कुछ नहीं
है.. मैं जाती
हूँ यहाँ से..’
ये कहकर मैं
छूटने का प्रयत्न करने लगी।
‘कहाँ जाओगी मेरी माया.. क्या फिर डिसूज़ा से चुदने का मन है क्या?’
मैं बस चुप हो गई.. कुछ नहीं बोली।
‘कहाँ जाओगी मेरी माया.. क्या फिर डिसूज़ा से चुदने का मन है क्या?’
मैं बस चुप हो गई.. कुछ नहीं बोली।
तभी अंकल जी ने कहा-
मैंने सब देख
लिया है जब
डिसूज़ा तुम्हारे यौवन का भोग कर रहा था..
माया यह ठीक
नहीं कि घर
की इज्जत बाहर
वाले के हवाले
कर दी जाए।
वह क्या सोचता
होगा हम लोगों
के विषय में?
तभी मुझे बोलने
का मौका मिल
गया- सही कह
रहे हैं आप..
कल रात मैं
आई और बेड
पर गई आपसे
चुदने.. और चोद
डिसूज़ा ने दिया..
मुझे जानकारी सुबह
हुई जब आपने
पूछा कि नाईट
में क्यों नहीं
आई तो मेरे
होश ही उड़
गए कि फिर
रात में किसने मेरे
यौवन का उपभोग किया.. पर
मैंने आपसे यह
बात छिपा ली
लेकिन डिसूज़ा यह
जान चुका था
कि मैं आपसे
चुदती हूँ और
वह मुझे बोला
कि माया मैं
आपके राज को
राज रख सकता
हूँ.. अगर तुम
चाहो.. मैं उससे
बोली कैसे तो
डिसूज़ा ने बोला
कि जब मैं
चाहूँ तुमको मेरे
नीचे आना पड़ेगा मेरे
साथ हमबिस्तर होना पड़ेगा.. नहीं
तो मैं आप
के पति से
सब बता दूँगा..
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मैं पहले तो सोच नहीं पाई.. लेकिन वह अभी कुछ देर पहले मेरे रूम में आकर पूछने लगा कि क्या सोचा है.. तो मैं कुछ नहीं बोली.. तो डिसूज़ा को लगा कि मैं अपने शरीर को उससे उपभोग करवाने को तैयार हूँ..फिर डिसूज़ा ने मेरी चुदाई की.. जिसमें ना चाहते हुए मैं भी साथ दे रही थी।
अब आप ही बताओ अगर डिसूज़ा से नहीं चुदती तो क्या होगा.. आपको पता ही है.. जीतू और मै उसके गांव जाकर पति पत्नी बनकर जीवन जीने जा रहे थे | आपने हमे कुछ दिनों के लिए अपने यहाँ रोक लिया मजबूर करके , ये सब जीतू को पता लगने के बाद मै उससे ऑख नहीं मिला पाती, और वो मुझे कभी भी अपनी Crossdresser पत्नी स्वीकार नहीं करता | इसी लिए मैंने अपना यौवन देकर डिसूज़ा का मुँह बंद कर दिया। अगर गलत है तो अब नहीं जाऊँगी।
मैंने जानबूझ कर बात
को बढ़ाकर बताया
ताकि मेरे और
डिसूज़ा के सेक्स
सम्बन्ध को जानकर
अंकल जी डिसूज़ा को घर
से निकाल देते।
मैं अंकल जी की
नज़र में मैं
गिरना नहीं चाहती
थी।
मेरी बातों का अंकल जी
पर काफी गहरा प्रभाव
पड़ा, वे बोले-
सॉरी माया.. मैं
गलत समझा तुमको..
तुम्हारी कोई गलती नहीं है..
तुमको मैंने ही
डिसूज़ा के रहते
बुलाया था जो
कि नहीं बुलाना
चाहिए था। तुम
तो आई थी
मुझे अपने सिलिकॉन
चूत का सुख देने..
पर डिसूज़ा ने
तुम्हें चोदकर सुख ले
लिया और मेरी
तुम्हारी चुदाई की पोल
भी जान गया।
मैं बोली- लेकिन आप
यह बात डिसूज़ा
से मत करना
कि तुमको भी
जानकारी है, आप
अनजान बने रहना..
‘ओके मेरी माया …’
और फिर मैं एक बार अंकल जी के आगोश में थी। अंकल जी मेरे मदमस्त यौवन को कुचलकर अपनी वासना को शान्त करना चाहते थे।
मैं भी एक बार फिर गरम हो कर रसीली सिलिकॉन चूत को अंकल जी के लिंग से रौंदवाने के लिए अंकल जी से लिपट कर अपने बूब्स को अंकल जी के मुँह में देकर और हाथ से लिंग को सहलाते हुए बोली- मैं आपकी हूँ.. आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ.. चाहे इसके लिए कितने भी डिसूज़ा से क्यों ना चुदना पड़े।
‘ओके मेरी माया …’
और फिर मैं एक बार अंकल जी के आगोश में थी। अंकल जी मेरे मदमस्त यौवन को कुचलकर अपनी वासना को शान्त करना चाहते थे।
मैं भी एक बार फिर गरम हो कर रसीली सिलिकॉन चूत को अंकल जी के लिंग से रौंदवाने के लिए अंकल जी से लिपट कर अपने बूब्स को अंकल जी के मुँह में देकर और हाथ से लिंग को सहलाते हुए बोली- मैं आपकी हूँ.. आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ.. चाहे इसके लिए कितने भी डिसूज़ा से क्यों ना चुदना पड़े।
तभी अंकल जी ने भी
मेरे बूब्स के निप्पलों को जोर
से मसक दिया
और मैं सीतकार
उठी- आहह्ह्ह्… आहसीईई..
मैं भी खड़े-खड़े ही अंकल जी के लिंग को पकड़ कर मस्ती भरी सिसकारी लेकर अपनी गुफा पर रगड़ते हुए फनफनाते अजगर जैसे लिंग का आनन्द ले रही थी।
मैं भी खड़े-खड़े ही अंकल जी के लिंग को पकड़ कर मस्ती भरी सिसकारी लेकर अपनी गुफा पर रगड़ते हुए फनफनाते अजगर जैसे लिंग का आनन्द ले रही थी।
अंकल जी मेरे बूब्स और नितम्बों को दबा
सहला रहे थे,
वे बोले- डिसूज़ा
से सेक्स करने पर
कैसा लगा?
मैं उनको सब
बताना चाहती हूँ..
पर आप बताओ
कि क्या करूँ?
कहानी जारी है।
आपकी माया लियॉन
(Maya Leone)
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