Good Evening all my Hubby 


बहुत दिन से मेरे पेज के रीडर मेरी रियल कहानी के बारे में जानना चाहते हैं, कि मैं कौन हूँ?? मेरा जेंडर क्या है?? मैं कहाँ से आई हूं?? और भी बहुत कुछ तो दोस्तों मैं आज अपनी खुद की कहानी लिख रही हूं। जिसके बाद आपको उन सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे जो आपके भीतर चल रहे हैं।।
मैं पटना बिहार का रहने वाला हूँ, मेरा नाम मनोज है मेरे घर में माँ-बाप और भाई-भाभी है। जिंदगी अच्छी चल रही थी आनंद था जीवन में खुशी थी। लेकिन जब भी मैं ऐसी कोई मूवी या सीरियल देखता था जिसमें हीरो या एक्टर को लड़के से लड़की बनना होता था तो मेरे पूरे जिस्म में बिजली सी दौड़ जाती थी। मुझे धीरे-धीरे चोरी से अपनी भाभी के कपड़े पहनते पहनते Cross dressing का शौक लग गया। अब तो जैसे मैं लेडीज कपड़े पहनने के लिए तड़पने लगा। पहले महीने में, फिर हफ्ते में, फिर 2,3 दिन छोड़ कर उसके बाद तो हद ही हो गई मुझे रोजाना Cross dressing की बहुत बुरी आदत लग गई। अब कुछ दिनों बाद भाभी को शक होने लगा क्योंकि वो शाम को अपने कपड़े सुखाने जाएं और भाई भाभी खाना खाने के बाद ऊपर टहलने जाएं तो भाभी को अपने कपड़े जैसे - पैंटी-ब्रा, ब्लाउज-पेटीकोट, नाइटी, साड़ी मिलती नही थी। फिर उन्होंने छुपके देखना शुरू किया और एक दिन चोर उन्हें मिल ही गया, चोर क्या वो तो चोरनी थी, यानी कि मैं मनोज।
भाभी हंसते हुए मेरा मजाक उड़वाने के लिए सभी घरवालों के सामने मुझे ले आई। लेकिन उन्हें ये नही पता था कि उनका मजाक मेरी ज़िंदगी तबाह कर देगा। सभी घरवालों ने मुझे देखकर मुझे बहुत खरी-खोटी सुनाई और मुझे अपने कमरे में जाने को कहा, मैं मटक-मटक कर जाने लगा पिताजी को ये देखकर इतना गुस्सा आया कि इसमें तो औरतों के पूरे गुण आ गए हैं और इतनी ज़ोर से खींच के मेरे नितम्बों में लात मारी कि अपनी चाल को औरतों की तरह बनाने के लिए जो मैंने टेनिस की 2 बॉल अपनी गुदा में डाल रखी थी वो बाहर आ गई। सभी घरवाले चौंक गए और मैं दर्द से करहाते हुए बैठ गया थोड़ी देर बाद जब मेरे दर्द कम हुआ तो मैं उठा अपने कमरे की ओर चल दिया अब मेरी चाल लड़कों की तरह थी। पिताजी को ये देखकर फिर इतना गुस्सा आ गया कि उन्होंने मारते-मारते मुझे bitch बना दिया डॉग मैंने इसलिए नहीं बोला क्योंकि उस टाइम मैं औरतों के गेटअप में था।
पिताजी ने मुझे intimation दे दिया कि तू अपना इंतजाम करले एक महीने में वरना मैं तुझे घर से धक्के मार कर बाहर निकाल दूंगा। मैं अपने कपड़े बदलकर लड़का बन गया और माँ के पास गया मैंने माँ से पूछा कि बेटा तो माँ को प्यारा होता है तुमने कल मुझे पिताजी की मार से बचाया क्यों नहीं?? माँ बोली जब तू हमें मिला था मैंने तेरे बाप को मना किया था कि रहने दो न जाने किसकी औलाद है?? लेकिन तेरे बाप को तुझपे रहम आ गया और तुझे घर ले आए और आज अपने कर्म देख ले तू। तेरे बाप का दिल बहुत दुखा है, उस दिन मुझे पता लगा कि मैं इस घर का बेटा नहीं हूं। माँ मामा के बहुत करीब थी, माँ ने मेरी करतूत मामा को बता दी मामा वैसे तो बहुत मस्त मोला था लेकिन थोड़ा ठरकी टाइप था, मामी का स्वभाव बहुत अच्छा था लेकिन वो चंद ही दिनों की मेहमान थीं क्योंकि उनको कैंसर था। मामा ने मुझे अपने घर बुलाया मैं मामा के घर गया शाम को मामा मुझे घर की छत पर ले गए। और मुझसे पूरी बात की और बोले कि तू चिंता न कर अगर तेरे पिताजी यानी मेरे जीजाजी तुझे घर से निकाल देंगे तो तू सीधा मेरे पास आइयो और कुछ दिन मेरे साथ रह लेना उसके बाद मैं तुझे अपने फरीदाबाद वाले फ्लैट की चाबी और एड्रेस दे दूंगा तू वहां चले जाना तेरे लिए कुछ खर्चा भी भेज दिया करूँगा। मैं बोला ओह थैंक यू मामा, लेकिन जैसा कि मैंने आपको बताया मामा ठरकी हैं मामा ने मेरे होंठों पर kiss कर लिया।
फिर सुबह होते ही मामी के उठने से पहले मैं अपने घर आ गया, कुछ दिनों बाद खबर आई कि मामी का देहांत हो गया घर के सभी लोग जाने की तैयारी करने लगे मैं भी तैयार हो गया पिताजी ने हड़काते हुए मुझे मना कर दिया कि तुझे जाने की जरूरत नहीं है तू हमारे घर का सदस्य नहीं है। मैं उस दिन फूट-फूटकर बहुत रोया और मैंने फैसला कर लिया कि अब महीने नहीं सिर्फ मामी की तैरवी होते ही मामा के घर चला जाऊंगा। मैंने अपना बैग तैयार नहीं किया क्योंकि मैंने सोच लिया था कि अब औरत बनके ही रहना है क्योंकि मामी का देहांत हो गया है मामा ठरकी भी है और अब मैं मामा को राज़ी कर लूंगा कि मुझे अपनी पत्नी बना कर अपने साथ रख लें।
मामी की तैरवी होते ही सभी घरवाले घर आ गए और मैं अंतिम विदाई लेकर घर से चलने लगा तो मैंने मुड़कर देखा किसी को कोई दुख नहीं था लेकिन भाभी की आंखों में पश्चाताप के आंसू थे। मैंने आंखों-ही-आंखों में कहा कोई बात नहीं। मैं सीधा मामा के घर आ गया। मामा रो रहे थे मैंने मामा को गले से लगा लिया और उन्हें अपने-आप को संभालने को कहा। मैं बोला मामी की कमी तो मैं दूर नहीं कर सकता मामा लेकिन आपकी वीरान ज़िन्दगी को खुशियों से भर सकता हूं। मामा बोले वो कैसे?? मैं बोला देखो मामा मुझे औरत बन ने का शौक है आप अब अकेले हो, आपको औरत चाहिए और मुझे औरत बन ने के बाद आदमी। मामा कुछ सोचने लगे और बोले लेकिन तेरे पास तो कुछ नहीं है मैं बोला कपड़े, artificial ज्वेलरी, मेकअप सामान और मेकअप किट जैसी चीज आप दिलाओगे। और कुछ दिनों बाद आपको औरत जैसी हर चीज़ के साथ मैं मिलूंगा सिर्फ एक चीज़ छोड़कर। मामा मुस्कुराते हुए राज़ी हो गए लेकिन वो बोले ये सब हम यहां नहीं फरीदाबाद फ्लैट पर शुरू करेंगे मैंने कहा ओके ठीक है।
मामा ने बैंक में फरीदाबाद ब्रांच में ट्रांसफर के लिए रिक्वेस्ट डाल दी। और मेरे घर गए मेरी माँ यानी अपनी बहन से मिलकर उन्हें बताने की यहां मुझे तेरी भाभी की यानी मेरी मामी की बहुत याद आती है। इसलिए मैं फरीदाबाद जा रहा हूँ वहां किराये पर फ्लैट का इंतज़ाम कर लिया है और इस घर के किराए से वहां के फ्लैट का किराया पे कर दूंगा। मेरे घरवालों को मामा ने ये नहीं बताया था कि उन्होंने फरीदाबाद में फ्लैट खरीद रखा है। उसके बाद मामा और मैं फरीदाबाद आ गए। 4,5 दिन में घर को सेट किया 6,7 दिन मामा ने मुझे मेरे लिए लेडीज शॉपिंग के लिए पैसे दिए। मैंने दो दिनों में हर वो सामान खरीद लिया जो औरत को जरूरत पड़ती है। लेकिन कुछ सामान अभी थोड़ा अलग खरीदा था क्योंकी मैं अभी पूरी तरह औरत जैसी नहीं दिखती थी। जैसे - विग, सिलिकॉन बूब्स, स्पंजी बॉल, और हिप पैड मैंने ऑनलाइन मंगाए। चेस्ट को मालिश कर करके बूब्स में बदलने के लिए ब्रैस्ट क्रीम मंगाई अपनी हिप को औरत जैसे नितम्ब में बदलने के लिए हिप क्रीम मंगाई। कान के लिए क्लिप वाले झुमके और नाक के लिए बिना छेद के पहनने वाली नोजरिंग, और नाभि के लिए क्लिप वाली नावेल रिंग।
फिर 8वें दिन मामा बोले मनोज अब तुम अपना कोई लेडी नाम रख लो मैंने कहा मामा आज से आप मुझे माया बोलना , फिर वो बोले अब तुम लड़कियों की तरह बोला करो जाउंगी, आ रही हूं, खा रही हूं, दे रही हूं। और मैं अब तुम्हारा मामा नहीं आज शाम के बाद मैं तुम्हारा पति बन जाऊंगा। मैंने बोला जी ठीक है।
फिर मेरे पति (मामा) बोले माया जाओ अब तुम तैयार हो जाओ आज हमारी सुहागरात है।
मैं तुरंत ही बाथरूम चला गया नहाने और शेव करने. बाहर आते वक़्त मैंने एक बड़ा सा तोवेल लड़कियों की तरह लपेट कर बाहर आया. अब मैं मन से लड़की हो चुकी थी. बाहर आकर मैंने अपनी अलमारी खोली. मुझे अपनी अलमारी में लड़कियों के कपड़े देखना बड़ा अच्छा लग रहा था. न जाने कितनी ही कीमती डिज़ाइनर साड़ियाँ थी उसमे. साड़ी, ब्रा, पैंटी, ब्लाउज, पेटीकोट, सलवार-कुर्ती, लॉन्ग स्कर्ट-सेक्सी टॉप और नाइटी को छूकर ही मेरे तन मन में रौंगटे खड़े हो गए. और आज तो मैं चैन से उन्हें छूकर अपनी पसंद की साड़ी, ब्रा-पैंटी, पेटीकोट और ब्लाउज पसंद कर सकती थी!
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Real Crossdresser Stories II
मैंने एक मैरून-गुलाबी रंग की प्लेन साटन की साड़ी पसंद की जिस पर सुनहरी बॉर्डर था और उसके पल्लू के आखिरी छोर में छोटे छोटे मोती लगे हुए थे. मैंने एक सुनहरा बिना स्लीवलेस वाला ब्लाउज भी निकाला. उसकी पीठ काफी गहरी थी, कि बिलकुल बैकलेस ब्लाउज की तरह लगे और उसका सामने का कट भी बहुत सेक्सी गहरा था, उसके बाद मैंने ब्लाउज के अंदर स्पंजी बॉल सेट किये! फिर मैंने एक सैटिन का पेटीकोट भी अलमारी से निकाला जो की बहुत सेक्सी कपडे का बना था, और पहनने वाली औरत के तन से ऐसे चिपक जाता था कि साड़ी पहनकर शेप बहुत ही सेक्सी दिखाई देती है. मैंने सैटिन को अपनी टांगो से छूते हुए पेटीकोट पहना, पेटीकोट के अंदर हिप पैड फिट किया ओए होय क्या सेक्सी हिप लग रही थी मेरी?? और फिर साड़ी अपने तन पर लपेटने लगी. साड़ी पहनते पहनते मैं खुद को आईने में देख रही थी, और सामने ऐसा लगा जैसे एक बेहद हॉट औरत मुझे देख रही हो. मैंने अपनी साड़ी की कमर पर प्लेट एडजस्ट की और अपने पल्लू को खुला रखकर अपने ब्लाउज पे पिन लगा दी, और फिर गले में एक मोती के हार और कान में क्लिप वाले झुमके पहने नाक में बिना छेद के पहनने वाली नोजरिंग पहनी और नाभि में क्लिप वाली नावेल रिंग पहनी।
हाथों में कंगन, पैरों में पायल, होंठों पर सेक्सी-सी डार्क मैरून लिपस्टिक लगाई, आंखों में आई लाइनर, पलकों पर गोल्डन कलर और आई ब्रो पर आई-ब्रो लाइनर लगाया।
मैं पूरी तरह से तैयार हो कमर मटकाते घर में चलने लगी!
साड़ी पहनकर खुद को तैयार होते देखना मुझे दीवाना बना रहा था, और मैं अपनी पेंटी के अन्दर एक सनसनाहट महसूस कर रही थी जो बढ़ते जा रही थी. मेरी महँगी सॉफ्ट सुन्दर पेंटी थोड़ी सी गीली हो रही थी. फिर मैंने अपनी विग उठाकर पहनी. और फिर मैंने अपने लम्बे बालो को गुंथ कर सर पर एक बड़ा सा जुड़ा बनाया! मुझे जुड़े के साथ औरते बहुत सेक्सी लगती हैं… और मैं खुद जुड़ा बनाकर और भी सेक्सी लग रही थी. उफ़… उस सेक्सी फीलिंग के साथ तो मुझे खुद को वहां छूने का मन करने लगा था. मैं पूरी तरह औरत बनकर अब तैयार थी, और कमर मटकाते हुए मैं कमरे में चलने लगी.
पर तभी मेरे कमरे का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. और मेरी आँखों के सामने मेरे पति (मामा) खड़े थे. उन्हें देखकर मेरी धड़कने तेज़ हो गयी और मैं एक अनजाने डर से कांपने लगी. और साथ ही साथ मेरे अन्दर उस आदमी को देखकर प्यार भी बढ़ रहा था क्योंकि जब मेरे घरवालों ने मुझे घर से बेघर कर दिया उस समय इसी आदमी ने मेरी मदद की।जितना आश्चर्य मुझे उन्हें देख कर हो रहा था, शायद उतना ही हैरान वो मुझे साड़ी में देख कर थे. मैंने खुद को अपनी साड़ी के आँचल में छुपाने की कोशिश की जैसे कोई भी औरत एक अनजान मर्द के सामने करती है. पर उनकी नज़रे मेरे पूरे तन को जैसे चीर कर देख रही थी. मेरे भरे पुरे जवान औरत के बदन को वो एक टक घूर रहे थे. और फिर उनके चेहरे पर एक अजीब-सी मुस्कान आ गयी और उन्होंने कमरे का दरवाज़ा बंद कर मेरी तरफ बढ़ने लगे. मुझे पता न था कि आज उनके इरादे क्या है?? और मैं वहां खड़ी खड़ी बस उन्हें अपने पास आते देखती रही. वो धीरे धीरे मेरी ओर बढ़ते चले आये… मेरी धड़कने बेहद तेज़ हो गयी.
उन्होंने मेरे पास आकर मेरी और देखा और बोले, “हेल्लो, मैडम. नाम क्या है इस खुबसूरत औरत का?” उनके चेहरे की मुस्कान देख कर एक अजीब सी खुशी महसूस हुई मुझे. मुझसे जो सवाल वो पूछ रहे थे मैं उनके सवाल का जवाब एक औरत की तरह देने लगी, “माया, आपकी पत्नी (माया) नाम है मेरा.” ये क्या बोल रही थी मैं उनसे? शायद, मैं एक औरत की तरह महसूस करना चाहती थी. और फिर उन्होंने धीरे से मेरे आँचल और मेरे ब्लाउज पर अपनी ऊँगली फेरी और फिर मेरी नाभि के पास चिकोटी काट कर हौले से कहा, “तुम इस साड़ी में कमाल लग रही हो, माया”. और फिर उन्होंने मेरी बांहों को जोर से पकड़ अपने पास खिंच लिया. मैं दर्द से एक नाज़ुक कलि की तरह कराह उठी जैसे कह रही हो, “छोड़ दे मुझे ज़ालिम”. मैं उस वक़्त उनकी इस हरकत से सकते में थी. वो ऐसे पेश आ रहे थे जैसे मैं असली में औरत हूँ और वो मेरे मर्द हो!
“पता है माया? तुम्हे देख कर लगता है तुम्हे अपनी रानी बनाने में अलग ही मज़ा आएगा. बड़ा ही हॉट फिगर है तुम्हारा.”, उन्होंने मुझसे कहा और अपने हाथो से मेरे होंठो को पकड़ कर मेरी लिपस्टिक को छूने लगे. पता नहीं क्यों उनकी बात और उनका स्पर्श पाकर मुझे अच्छा लग रहा था. कितने करीब आ गये थे वो मेरे… मेरे सामने… हाय, असली मर्द था. उन्होंने तुरंत मेरी कलाई पकड़ कर मेरे हाथ को कसकर पकड़ लिया. मेरे हाथो की कांच की चूड़ियां उस झटके के पकड़ने से खनक उठी. वो मुझसे ज्यादा मजबूत थे. न जाने क्यों मेरे तन में मुझे आग महसूस हो रही थी. वो मुझ पर हावी थे और मैं भी किन खयालो में थी!
मेरे तन बदन की अदाओं को देखकर वो मुझसे बोले !
“मुझे ऐसी तेज़-तर्रार गुस्से वाली औरतें बेहद पसंद है. उनके अन्दर की आग मुझे दीवाना बना देती है. तेरी जैसी औरतों को निचोड़कर मेरी बनाना मुझे अच्छा लगता है”, उन्होंने मेरी ओर देखते हुए मुस्कुरा कर कहा और जोर से मेरी कलाई को नीचे की ओर मोड़ दिया. उनकी मर्दानगी के सामने मैं बेहद ही असहाय महसूस कर रही थी. वो मेरे और करीब आ गये, उनका गठीला बदन अब मेरे तन को दबा रहा था. मैं उनके और दीवार के बीच दब गयी थी.. और वो अपने हाथो से मेरे होंठो को ज़बरदस्ती पकड़ रहे थे, और फिर वो मेरे होंठो को चूमने लगे.. एक मर्द मुझे चूम रहा था! मैंने उनसे दूर होना चाहा पर होती भी कहाँ और कैसे? उनके सामने इतनी नाज़ुक थी मैं. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और वो मुझे ज़बरदस्ती चूमते रहे… मेरे होंठो को चूसते रहे और मैं एक अबला की भाँती कुछ भी न कर सकी. मैं लगभग बस रोने ही वाली थी कि उन्होंने अपने कदम पीछे ले लिए.
उन्होंने एक बार फिर मुझे हवस भरी नज़रों से देखा. मैं अब तक उनकी बांहों में कैद थी.
मेरी सांस तेज़ थी.. मेरा सीना मेरे बूब्स उस सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे… और अचानक ही मेरे चेहरे पर भी एक कातिल मुस्कान थी. और फिर मैंने शरारत भरी नज़रो से अपने पति (मामा) को इशारा किया. वो मुस्कुरा दिये. वो समझ गये थे कि मैं क्या चाहती हूँ, और वो भी तो वही चाहते थे. उन्होंने मेरी मांसल कमर से मुझे पकड़ कर जोर से अपने करीब खिंच लिया. हाय… कितना मजबूत तन और कितनी मजबूत पकड़ थी उनकी. मेरी तो आंह ही निकल आई. वो मेरे चेहरे के करीब आये और मेरे होंठो को चूमने लगे. मेरे तन में भी आग भड़क रही थी.. अपने पति के घर में अपनी सेक्सी-सी साटन की साड़ी पहन कर, एक हॉट औरत की तरह, अपने पति (मामा) की बांहों में थी मैं. जैसे मेरे सालो का सपना पूरा हो रहा था… मेरी ज़िंदगी में वो मर्द आ गया था जो मुझे पूरी तरह औरत बनाएगा. और मैं उनसे लिपट गयी.
मैंने उन्हें अपनी आँखों से इशारा किया. उन्हें पता था कि आगे क्या करना है!
वैसे तो उन्हें चूमने में मुझे थोडा संकोच हो रहा था पर कुछ सेकंड बाद, मैं भी उन्हें मदहोशी में चूमने लगी. वो तो मेरे होंठो का रस पहले ही ले रहे थे, अब मैं भी पीछे नहीं थी. और फिर वो अपनी जीभ से मेरे होंठो के अन्दर मुझे फ्रेंच किस करने लगे. मैं अपने होंठो के बीच उनकी जीभ पकड़ कर उसे चूसने लगी… एक मदहोश औरत की तरह बेकाबू होकर. वो मुझे एक औरत की तरह अपनी बांहों में पकड़ कर मुझे नीचे झुकाते हुए मेरी नग्न पीठ पर एक हाथ से छूने लगे. उन्हें चुमते चुमते मैं बदहवास हो रही थी… एक मर्द की बांहों में पहली बार जो थी. पर अचानक ही उन्होंने चुम्बन को रोककर मुझे थोडा पीछे धकेल दिया.
उस मदहोशी भरे चुम्बन के वक़्त, मेरा जूड़ा खुल गया और मेरे बाल अब मेरे कंधो के नीचे तक गिर कर मेरी नंगी पीठ को चूम रहे थे. उनके ज़बरदस्त चुम्बन का असर था कि मैं अब तक मुंह खोले सांस ही ले रही थी. अब तो जैसे होश ही न था. और मेरे कुछ सोचने के पहले ही उन्होंने अपनी पेंट की ज़िप खोल दी, और अपनी आँखों से उस ओर इशारा किया. मैं जानती थी कि अब मुझे क्या करना है?? एक असली औरत की तरह, पहले तो मैंने अपने बालों का जूड़ा बनाया, अपने पल्लू को अपनी कमर में ठूंसकर, अपनी साड़ी की प्लेट को सामने पकड़ कर मैं उनकी ओर अपनी कमर मटकाते आगे बढ़ी. मैंने उनकी पेंट में उसको बढ़ते देख सकती थी. मेरी नज़रे वहां से हट ही नहीं रही थी. मेरे चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी. मैंने अपना सर उनके सीने पर रखा और एक हाथ से उनकी पेंट को छूने लगी. वो बहुत बड़ा हो चुका था, और मेरे हाथो के स्पर्श से वो बाहर आने को मचल उठा था. पति (मामा) ने एक आंह भरी और अपने हाथ मेरे कंधो पे रखकर मुझे नीचे झुकाने लगे.. अपने लिंग की ओर. मुझे तो जैसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि पहली बार एक मर्द मुझ पर ज़बरदस्ती-सी कर रहे है.. और मैं जैसे उनकी हर बात मानने वाली औरत की तरह … उनके लिए सब कुछ कर रही हूँ. मुझे शिकायत भी नहीं थी इस बात से!
पर फिर भी… ये आश्चर्यजनक था मेरे लिए… मैं एक नाज़ुक औरत की भांति एक मर्द को खुश करने वाली थी. इस वक़्त अपने घुटनों पर खड़ी, साड़ी पहनी हुई मैं.. एक मर्द अपने पति (मामा) को खुश करने वाली हूँ मैं!
मेरे पति (मामा) सचमुच मुझसे कहीं ज्यादा मजबूत थे.. असली मर्द हैं वो. मुझे ऐसे ही मर्द की ज़रुरत थी जो मुझे अपनी प्यारी बीवी की तरह ट्रीट करे. मैं पूरी तरह अपने पति (मामा) के काबू में थी. वो जैसे मुझ पर हावी हो रहे थे जैसे उनका पूरा हक़ है मुझ पर, मुझे और हॉट महसूस हो रहा था उनके इस बर्ताव से. उन्होंने मेरी ओर नज़रे झुकाकर देखा, मेरे चेहरे को छुआ और मेरे बूब्स को निचोड़ा. मैं शर्मा गयी. अब मैं भी उनकी पेंट के अन्दर से उनके लिंग को निकालने को बेताब थी.
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मैं ये सब सोच ही रही थी कि उन्होंने मुझसे कहा, “क्या हुआ माया? बड़ा शर्मा रही हो… कभी देखा नहीं है क्या?” मैंने जैसे ही वो जादुई शब्द सुने “माया”, मैंने उत्तेजित होकर तुरंत उनकी अंडरवियर खोलकर तुरंत उनका लिंग बाहर निकाल लिया, उनका ८ इंच का लिंग मेरी आँखों के सामने तन गया. मेरी कलाई जितनी तो उसकी मोटाई थी. यह हुआ न असली मर्द! और फिर मैं धीरे धीरे उनके लिंग को अपने नाज़ुक हाथो से सहलाने लगी. वो आँखें बंद कर मज़े ले रहे थे और मैं तेज़ी से उनके लिंग को हिलाने लगी. और उनकी आन्हें बढती गयी।
और फिर उन्होंने अपने हाथो से मेरे सर को पकड़ कर मेरे चेहरे को अपने लिंग के पास ले गये.. मेरे होंठ उनके लिंग के बेहद करीब थे.. मेरे होंठ उसको चूमने और चूसने को बेताब हो रहे थे पर डर भी था कि इतने बड़े लिंग को कैसे लू मुंह के अन्दर. पर अगले ही पल मैंने उनके लिंग को अपने होंठो में लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैं अपनी जीभ से उसे चाटने लगी. और फिर धीरे धीरे कर मैंने उसे पूरा अपने मुंह में ले लिया. मैं पहली बार यह कर रही थी पर मुझे अपने किये पर बेहद गर्व था. मैं आपको यहाँ बताना चाहती हूँ कि मेरे पति का नाम विजय है जो कि असल जिंदगी में मेरे मामा हैं, और फिर मेरे पति विजय ने अपने लिंग से मेरे मुंह में और जोर लगाने लगे। वो पहले तो धीरे धीरे अन्दर बाहर कर रहे थे पर फिर वो तेज़ हो गये. मेरा गला बंद होने को आया तो मैंने उनका नितम्ब जोर से दबोच दिया. मुझे ऐसा देख वो रुक गये. मैंने सांस लेने के लिए उनके लिंग को मुंह से बाहर निकाला. मेरे मुंह से एक लार टपक कर मेरे मंगलसूत्र पर गिर पड़ी जो विजय ने मुझे छूने से पहले पहनाया था. मैंने फिर अपने मंगलसूत्र को अपनी उँगलियों के बीच घुमाते हुए उसे कामुक नज़रो से देखा.
मैं उनकी नजरो में मेरे बदन के लिए हवस बढती हुई देख सकती थी. मैं उनके हाथ का सहारा लेकर उठने लगी. साड़ी पहन कर उठाना वैसे भी मुश्किल होता और फिर इस पोजीशन से! मैंने खड़ी होकर अपनी साड़ी की प्लेट और पल्लू को ठीक किया और उनसे पूछा कि उन्हें कैसा लगा मेरे साथ. और उन्होंने कहा कि उन्हें बेहद मज़ा आया. मेरी पेंटी तो इस वक़्त मेरे ही रस से थोड़ी गीली हो रही थी. मैंने अपने पति के सीने पर हाथ फेर कर देखा, उनके मजबूत सीने पर बहुत सारे बाल थे. मैं उन्हें महसूस कर रही थी कि उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेडरूम की ओर ले गये. बेडरूम में पहली बार मैं एक मर्द के साथ जा रही थी!
बेडरूम में एक बड़ा आइना था जिसमे मैंने देखा कि मैं कितनी हॉट दिख रही थी. मेरे बाल अब खुले हुए थे और मेरी साड़ी बिलकुल कस कर मेरे बदन से लिपटी हुई थी. विजय अन्दर आते ही बिस्तर पर लेट गये थे। मैं आईने में खुद को गर्व से निहार ही रही थी कि विजय ने मुझे कहा, “अब आ भी जाओ माया… और भी बहुत कुछ करना है अभी तो.” मैं बिस्तर के किनारे पे खड़ी होकर उनसे बोली, “अब और क्या करना है पतिदेव जी? क्या जो किया वो काफी नहीं था?” मेरी बातें भी अब नशीली थी.
उन्होंने मुझे अपनी बांहों में पकड़ कर बेडरूम में ले गये।
और फिर उन्होंने कहा, “अभी कहाँ जानेमन. अभी तो तुम्हे पूरी औरत बनाना बाकी है.” मैं तो उनकी बातें सुनते ही शर्मा गयी, और ख़ुशी से रोमांचित हो उठी. वो मेरे सामने खड़ा थे, उनके लिंग के सामने तो मैं एक कामुक औरत बन कर उतावली हो रही थी. यही सोचकर कि आगे और क्या होने वाला है! उन्होंने मुझे फिर इशारा किया कि मैं कंप्यूटर टेबल के सामने झुक जाऊं, और फिर उन्होंने मेरे सैटिन पेटीकोट को पहले उठाया और फिर पेंटी को नीचे उतारा.
जब वो यह सब कर रहे थे मैं तो उत्तेजित होकर आन्हें भरने लगी. मेरी कामुक आवाज़े सुनकर उन्होंने कहा, “माया ज़रा इंतज़ार करो.. अभी तो तुम्हारे अन्दर मैं आया भी नहीं हूँ.” मैं तो बस मदहोश हो गयी और उनसे बोली, “अब और इंतज़ार न कराओ विजय जी. मैं तुम्हारी प्यासी हूँ… अब आ भी जाओ मेरे अन्दर.”
और फिर वो मेरे पीछे मेरे नितम्ब से लग गये और एक ही झटके में उनका बड़ा सा लिंग मेरे अन्दर समा गया. हाय… मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी… और दर्द और उत्तेजना में मेरी चीख निकल आई. औरत होना इतना आसान भी नहीं है! पर कुछ देर में, उन्होंने धीरे धीरे मेरे अन्दर बाहर होना शुरू किया और फिर तेज़ी से…. मैं तो अब बस मचल उठी थी और उत्तेजना में अपने एक हाथ से ब्लाउज के अन्दर अपने बूब्स को अपनी आँखें बंद कर मसलने लगी. वो बीच बीच में जोर से मेरे अन्दर आता और मेरे मुंह से चीख निकल आती.. फिर भी मुझे बेहद मज़ा आ रहा था. मैं अपने नितम्ब लहराने लगी उनके एक एक झटके के साथ … मैं उनके लिंग को पूरी तरह अपने अन्दर ले लेना चाहती थी।
और फिर न जाने कितनी देर बाद, उन्होंने अपने लिंग को मेरे अन्दर से बाहर निकाल लिया. मैंने झूठ मुठ के गुस्से से अपनी आँखें दिखाते हुए उनसे बोली कि, “निकालते क्यों हो पतिदेव जी. अभी तुम्हारी माया की प्यास बुझी नहीं है.” उन्होंने कहा, “माया जी.. अभी और भी पोजीशन ट्राई करनी है… इतनी उतावली मत हो मेरी जान.” उनके कहने के तरीके से तो मैं लजा उठी. मैंने कहा.. ” ओहो.. पतिदेव जी… तो मेरे नटखट पतिदेव अब क्या करना चाहते हो अपनी इस पत्नी के साथ? मेरी जान तो अपने लिंग से पहले ही निकाल चुके हो.” उन्होंने आगे कुछ नहीं कहा और फिर बिस्तर पर लेटकर मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया. मैं मादक तरह से चलते हुए उनके ऊपर चढ़ गयी.. हौले से अपनी साड़ी को अपने हाथ में पकड़ कर. उन्होंने कहा, “माया अब बैठ भी जाओ..” तो मैंने कहा, “बैठूंगी नहीं… मैं तो सवारी करूंगी!” मैंने अपनी साड़ी उठायी और फिर अपना पेटीकोट … और उन्होंने … उफ़… कैसे बताऊँ? वो मेरे ब्लाउज पर से मुझे मसलने लगे और मैं उनकी सवारी करने लगी. मैं खुद को उस वक़्त बिस्तर के सामने लगे बड़े शीशे में देख सकती थी और मुझे यकीन नहीं हुआ जो मैं देख रही थी… बिलकुल एक मिडिल ऐज औरत की तरह दिख रही थी मैं! और फिर उन्होंने मेरे चेहरे को अपने पास खिंच लिया और मेरी गर्दन के आसपास जोरो से चूमने लगे… मेरे ब्लाउज पर से दिखते हुए मेरे मांसल बूब्स को वो अपने दांतों से कांटने लगे. मैं बिना रुके ऊपर नीचे होते हुए इन सबका मज़ा ले रही थी…. उस रात मेरा खुद पर काबू न रहा. उस रात मैं एक औरत थी जिसे एक मर्द की ज़रुरत थी.!
मैं खुद पर विश्वास नहीं कर सकी, मैं रुकना चाहती थी पर खुद को रोक नहीं सकी… जैसे मैं “turn on” हो रही थी. मैं बिस्तर से उठ कर दूर जाने लगी… क्योंकि मेरी साड़ी पूरी तरह बिखर गयी थी, मैं उसे संभालने लगी. मैंने साड़ी से अपने सीने को छुपाने लगी क्योंकि मैं अपने बूब्स पर विजय के चुम्बन के निशाँ विजय से छुपाना चाहती थी. पर न जाने क्यों मैंने देखा कि मेरे पेटीकोट के अन्दर हलचल हो रही थी. यह महसूस कर मैं उत्तेजित हो रही थी! और थोड़ी देर बाद मैं बिना झिझक दोबारा अपने पति विजय के लिंग को चुसना शुरू हो गयी।
मेरे लिए तो यह एक सच होते सपने की तरह था. विजय को तो बेहद मज़ा आ रहा था. मेरे पेटीकोट से निकलते उभार की तरफ विजय का ध्यान पहुंचा…. अब वो उभार मेरी साड़ी की प्लेट से भी दिख रहा था.. विजय ने मुझे जोर से अपनी बांहों में खिंच लिया और मेरे होंठो को बेहद जोरो से चूमने लगा. मेरे मुंह से आंह निकल आई आखिर उन्होंने मुझ नाज़ुक औरत को इतनी जोर से खिंचा था अपनी बांहों में. पर मैं बहुत खुश थी, मेरा मन गर्व से भर गया क्योंकि विजय मेरे पति ने मुझे अपनी बांहों में लिया था. और फिर विजय मेरे पीछे से मेरे अन्दर प्रवेश करने लगा. मैं दर्द से कराह उठी, पर मेरी उत्तेजना चरम पर थी. खुद को कमरे के उस बड़े से आईने में ऐसी अवस्था में देख मुझे थोड़ी लज्जा भी आई.
लेकिन मुझे बेहद मज़ा भी आ रहा था. और फिर विजय तेज़ी से मेरे अन्दर झटके देने लगे और फिर उन्होंने कहा, “बस अब मैं ख़त्म होने वाला हूँ.” मेरी उत्तेजना भी अब चरम पर थी, “मुझे आज औरत बना दो विजय. बहा दो अपनी धार मेरे अन्दर… अपनी माया को सुख दे दो आज विजय.”, मैं चीख उठी. चरम पर पहुंचने के कारण मैं उत्तेजित होकर अपनी कमर लहराने लगी. और आखिर में विजय ने जोर से मेरी मांसल कमर को जोर से पकड़ कर एक आखिरी स्ट्रोक दिया. और उस पल अचानक से शान्ति छा गयी… एक अद्भुत सुख महसूस कर रही थी मैं… मैं अब एक औरत बन चुकी थी.
बाथरूम के फर्श पर थकी हुई मैं लेटी रही|
उस रात मैंने अपने बारे में एक बात जानी, वो बात जो मैं जानती तो थी पर पूरी ज़िन्दगी उसे नकारती रही थी. मैं एक औरत के रूप में ढलना चाहती थी, एक आदमी का साथ चाहती थी. अपने भाग्य पर हँसते हुए मैं बाथरूम के फर्श पर थक कर लेट गयी थी और मेरे पीछे दरवाज़ा बंद हो चुका था. और मैं जब सो कर उठी… वो एक अलग ही कहानी है!
मैं आज भी वो रात भुला नहीं सकी हूँ. वो रात जब मैं एक पूरी औरत बन गई थी.!
लेकिन आज इस बात को 4 साल से ज्यादा हो गए हैं, अब मैं विग नहीं लगाती क्योंकी मेरे औरतों की तरह बाल लंबे हो गए हैं। अब मुझे सिलिकॉन बूब्स, स्पंजी बॉल यूज़ करने की जरूरत नही पड़ती क्योंकि संभोग करते वक़्त विजय मेरे बूब्स को मसलने, दबाने से पहले ब्रैस्ट क्रीम लगा लेते थे जो मैं अपने बूब्स का आकार बड़े करने के लिए लाई थी। अब मुझे हिप पैड यूज़ करने की जरूरत नही पड़ती क्योंकि संभोग करते वक़्त विजय मेरे नितंबों को भींचने से पहले हिप क्रीम लगा लेते थे जो मैं अपने नितंबों का आकार औरत के बड़े नितंबों जैसे करने के लिए लाई थी। बाकी उस सुहागरात के 10 दिनों बाद ही विजय बोले कि जब तुम्हे पूरी ज़िंदगी औरत की तरह मेरी पत्नी बनकर ही बितानी है तो ये क्लिप वाले झुमके, बिना छेद के पहनने वाली नोजरिंग, क्लिप वाली नावेल रिंग क्यों पहन रही हो?? मैंने कहा जो आज्ञा पतिदेव कल जाकर मैं piercing करवा लुंगी। अगले दिन मैंने सुनार के पास जाकर कान में 3-3 छेद करवा लिए और नाक भी pierced करवा ली, और फिर मैंने गूगल पर सर्च किया कि नाभि कहाँ pierced होती है?? वो शॉप मेरे फ्लैट के पास ही थी मैंने वहाँ जाकर अपनी नाभि pierced करवा ली।
आज मैं लगभग पूरी औरत हूँ लेकिन योनि न होने के कारण आज भी मैं Crossdresser हूँ, लेकिन एक बात कहूँ जो मज़ा Crossdresser की ज़िंदगी जीने में है वो औरत की ज़िंदगी में भी नहीं।
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आपकी अपनी
माया लियॉन (Maya Leone)
13 comments:
Nice story
पूरी कहानी एक सीरीज में लिखो बहुत अच्छी कहानी है
Nice story माया
Kahani bahut achi lagi jab ek crossdreser ko sacha sethi mil jai aur wo use puri aurat bana de to wo crossdreser Ali ayrton se bhi jiada Sen are hote hain
Aap bahut kismet wali ho good luck
Nice story... Really... Muskan u like fucking????
Veri nice
8299495436
Bahut achi khani hai
Mughe bhi chudvana hai
Bideya crosy
Chudvane ke liye tadap rahe hu
8090037022
बहुत ही अच्छी कहानी है।
Bhut badiya kahani hai
Wow Kas mujhe bhi koi aise bna kar rkhe
7091159425
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