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अंकल जी दिन में 12 बजे करीब ही 2 भरे हुए बैग लेकर मेरे फ्लैट में आ गए और बोले कि तुम जब तैयार हो जाना तो मुझे बता देना मेसेज कर देना। मै बोली अंकल जी लीला में तो शाम को जाना है, अंकल बोले तो तुम्हे तैयार होने में टाइम नहीं लगेगा क्या ?? कहके अपने फ्लैट में चले गए जो कि मेरे फ्लैट के सामने ही था। मुझे नहीं पता था कि अंकल के मन में क्या चल रहा है????
अब मुझे झट से तैयार होना था। जितना मैं सोचती थी अंकल उससे भी ज्यादा ठरकी लगे मुझे| मैंने एक बैंगनी रंग की सिल्क की नाइटी, सिल्क ब्रा पेंटी के साथ पहन ली। अपने बाल मैंने खुले छोड़ दिए और एक सुंदर सी बेक पिन लगा ली थी बालो के बीचो बीच। मैंने रेड लिपस्टिक और रेड नेल पोलिश लगायी। जल्दी जल्दी अपने बाल कंघी किये और हल्का मेकअप किया। काजल भी मैंने हल्का लगाया था और भौंहों पर भी हल्का मेकअप लगाया।गोल्डन रंग की कान के झुमके पहनी। मैंने जब चुन्नी ली तो मुझे एहसास हुआ कि मैं आज सिर्फ शीशे के सामने अपने को देखने को तैयार नही होना। बल्कि आज मुझे बहुत से मर्दों के सामने जाना है और नाचना है। इस एहसास से ही मेरे बदन में झुरझुरी सी हो रही थी। और बार बार अंकल को मेसेज करने से पहले मै अपने को शीशे में चेक कर रही थी।पहले मैंने चुन्नी साइड में ली फिर मुझे लगा कि हाय मेरी ब्रा की स्ट्रैप्स की लाइन कितनी साफ दिख रही है नाइटी में से ! आज सचमुच एक नृत्य करने वाली औरत की तरह दिखना चाहती थी मैं| फिर मैंने उसे दोनों कंधो पे लिया ताकि स्ट्रेप्स दिखाई न दे। एक लास्ट बार चेक किया। और मेसेज भेज दिया डरते डरते कि “मै तैयार हूँ। आप आजाईये।” “ओके”, उधर से जवाब आया।
अब मैं जल्दी जल्दी रूम ठीक करने लगी। इतने में दरवाजे पे हलकी सी आहट हुई। सच कहूँ तो इतनी नर्वस मै पहले कभी नही हुई थी। पर पहली बार दरवाजा खोलने के लिए मैंने हाथ उठाया तो मुझे अपने औरत होने का पूरा अहसास हुआ। अंकल धीरे से दरवाजा खोल के अंदर आये और मुझे देखते हुए बेड पे जा के बैठ गए। “मेरे दोनों बैग तो नही खोले माया तुमने कही? अपने गिफ्ट्स देख लिए हो।”, उन्होंने कहा. पर मैं क्या जवाब देती मेरा तो गला सुख रहा था। “एक गिलास पानी दोगी प्लीज़”, उन्होंने कहा| मै गयी जग से पानी गिलास में निकाल के अंकल को देने लगी तो उन्हीने मुझे हाथो से पास खींच लिया और वही अपने पास बिठा लिया। मुझे कंधो से पकड़ मेरी आँखों में झांक के बोले, “बोलो मै कोई भुत हूँ? जो तुम मुझसे मिलने को इतने नखरे कर रही थी। बोलो माया| मै बोली अंकल अब मै तुम्हारी ही हूँ, इसलिए तो तैयार होने से पहले आपसे इस हालत में मिल रही हूँ। वो बोले तभी मै सोचूं 2 साल हो गए मुझे तुम पे लाइन मारते हुए अगर मिलना नही था तो फिर क्यू अपनी अदाएं दिखा दिखा के मुझे अपने रूप के जाल में फंसा लिया?”
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उन्होंने धीरे से मुझे अपने और नज़दीक खिंच लिया। और फिर मेरी पीठ सहलाते हुए बोले, “गिफ्ट्स नही देखनी अपनी तुम्हे। मै बोली मतलब - अंकल बोले सुबह तुम्हारे पास से जाने के बाद मैंने सोचा आज माया मेहरबान है, लीला तो हर साल होती है अगर माया से चूक गए तो न जाने अपनी आगोश में कब ले पाएंगे इन दोनों बैग्स में दुल्हन के जोड़े से लेकर हर वो सामान है जो एक दुल्हन को चाहिए आज तुम्हारी और मेरी सुहागरात होगी और ये अंकल वन्कल बोलना छोड़ दो तुम मेरी माया मै तुम्हारा जीतू।” कहते कहते उन्होंने मेरी कलाई पकड़ के मेरी चूड़िया देखनी शुरू कर दी। फिर मेरे दोनों हाथ अपने हाथो में ले लिए। बोले, “कुछ uneasy लग रहा है माया।” एक औरत के रूप में ये सोच पाना कि जब कोई छुएगा तो कैसा लगेगा इसको शब्दों में लिख पाना संभव ही नही होता। पर मैं जीतू (अंकल) के प्रश्नो के जवाब में या तो अपना सर हिला रही थी या फिर अगर मेरी हिम्मत पड़ती थी तो अपनी आँखों के इशारे से बता रही थी। पर जीतू (अंकल) के व्यव्हार ने मुझे दो चीजे दे दी थी। एक तो मैं बहुत कम्फ़र्टेबल फील कर रही थी और दूसरे हर पल जीतू (अंकल) मुझे एक औरत एक बीवी होने का एहसास करा रहे थे। फिर मै उनके साथ उनके बैग से गिफ्ट निकालने लगी और वो खत्म होने का नाम नही ले रहे थे। बीच बीच में हमारे हाथ छु जाते थे या वो मेरे उपर हाथ से सहला देते थे तो बस मैं उन्हें आँखों के इशारो से डांट भर पाती थी। फिर चूड़ियां ,वो सैटिन का गोल्डन सूट,एक गोल्डन और सिल्वर कलर की 3 इंच की हील, चांदी की बनी काफी चौड़ी सी पायल , दुल्हन के श्रंगार के लिए गहनो का सेट , दो लिपस्टिक, दो नेल पेंट। मैं सच में ये नही सोच पायी थी कि जीतू (अंकल) सारी हदे पार कर देंगे! अभी मैं दुल्हन की चीजे देख रही थी कि उन्होंने मुझे पीछे से आकर पकड़ लिया अपनी बाहो में! मैं तो यु ही पिघली हुई बैठी थी, सिमट गयी उनके सीने में! मैंने सुना कि “माया यार! माथे पे लगाने वाली ब्राइडल बिंदी नही मिली , मुझे वो चिपकने वाली नही लगानी तुम्हारे माथे पर।” और फिर आवाज आई कि “पहले मुझे तुम्हे उस गोल्डन सैटिन सूट में देखना है जो मै तुम्हारे लिए लाया हूँ।” मै थोड़ी आश्चर्य होकर सोचने लगी कि दुल्हन के लिए सूट?? लेकिन फिर मेरे मन में आया कि कोई नहीं जीतू गिफ्ट्स के तौर पर लाए हैं तो पहनुंगी।
फिर मै बोली - “पहले छोड़ो तब तो जाउंगी! ओह! ऐसे आपकी बाहो में रहे रहे नही बदल सकती। छोड़ो भी जीतू (अंकल), जीतू अपने आप को 27-28 साल का लौंडा समझने लगे थे|”, और ये कह के मैं जीतू की छाती पे अपने चूडियों भरे हाथो से पुश करते हुए धक्का दिया और साथ ही लगे बाथ रूम में वो 5 meter वाला गोल्डन साटन पटियाला सूट लेके भाग गयी। जीतू ने दरवाजा खोला और बोले “अरे अपनी ब्रा पेंटी तो लेती जाओ! तुम अब तुम्हारे खूबसूरत जनाने बदन पर सब मेरे लाये हुए कपडे ही पहनोगी।”
थोड़ी देर बाद मैं वो गोल्डन साटन पटियाला सूट पहन के निकली और फीटिंग बहुत अच्छी नही थी पर जीतू का दिल दुखाने का मेरा मन नही था इस्लिए चुप रही।
“माया फीटिंग अच्छी नही है माफ़ करना यार …”, कहते कहते मेरे पास आ आगये और उस गोल्डन सैटिन सूट के ऊपर से मुझे यहाँ वहा छूने लगे। “यहाँ हिप्स पे तुम्हारे कितना ढीला है…”, मेरी पैंटी की आउटलाइन छु ली और ……”जीतू हटाइये अपना हाथ| लगता है आप जान बूझ के ख़राब फिटिंग वाला सूट लाये है….कहा कहा हाथ जा रहा है आपका!”, मैंने अपनी चुन्नी ठीक करते हुए उन्हें गुस्से से देखा।
“अरे नही माया वो तो मैं तुम्हे छुना होगा तो यू ही छू लूंगा| कौन रोकेगा मुझे?”, और इतना कह कर मुझे अपनी बाहो में भर लिया।
“माया तुम मेरी होने वाली घरवाली हो कब तक दूर भागोगी? और पास आओ।”, मै बोली - मै तुम्हारी घरवाली बनूँगी ये कब सोचा तुमने ??? जीतू बोले आज सुबह जब तुमसे बात करने आया था....", और फिर वो मुझे सहलाने लगे। इतने नज़दीक मुझे खिंच लिया जीतू ने कि साँस लेना मुश्किल होने लगा…फिर मुझे उठा लिया अपनी बाहो में। मैं बस लग गयी उनके गले से और करती भी क्या? ..गिर जाती तो?
“जीतू उतारो मुझे| चूड़ियां टूट जाएँगी मेरी! उतारो न प्लीज़।”, मैंने कहा| और मुझे डर लगा रहा था कि कही मेरी पायल और चूड़ियों की आवाज से बराबर वाले फ्लैट से कोई आ न जाये। पर जीतू कहा मानने वाले थे। वो मुझे वैसे ही गोद में लिए शीशे के सामने ले गए।
“माया बोलो मेरे साथ सात फेरे लोगी?”……उनकी बांहों में मुझे खुद को शीशे में देख कर रोमांच हो आया| मेरी परांदे वाली चोटी मुझे लटकती हुई दिख रही थी और मेरी चुन्नी मेरे स्तनों से ढलक कर मुझे और जीतू दोनों के कंधो पे आ गयी थी ….मेरी ब्रा की स्ट्रैप भी बाहर दिखने लगी थी….मैं मारे शर्म के लाल पड़ गयी थी …मैं जीतू के सीने में घुस गयी …और शर्म से लजा रही थी| मुझसे बोला नहीं जा रहा था।
देखो जीतू फिर मै बात नही करूंगी आपसे……और…और शादी भी नही करनी मुझे फिर आपसे।”, मेरी ये धमकी काम कर गयी और जीतू ने मुझे धीरे से बेड पे रख दिया। और फिर झट से एक अंगूठी निकाली जेब से और मेरे सामने बेड पे ही नीचे बैठ गए और बोले, “माया आप बहुत सुन्दर है और मैं पिछ्ले 2 सालो से दीवानो की तरह मिलने को तड़प रहा हूँ। मैं कभी आपको परेशान नही करूँगा। आपकी वार्डरॉब में साड़ी सूट गहने और कास्मेटिक सब भर दूंगा। माया आपको चुडिया कांच की अच्छी लगती है न? मै और लाऊंगा। तुम्हारी चांदी की ज्यादा चौड़ी वाली पायल पहनाऊंगा। बस तुम मुझसे शादी के लिए हां कर दो।”
मैं तो खो गयी थी जीतू (अंकल) की बातो में .. कब मैंने हाथ आगे किया और कब उन्होंने मुझे वो अंगूठी सगाई की पहना दी, पता ही नही चला। हम दोनों को ही किस उंगली में होने वाली दुलहन को पहनायी जाती है अंगूठी पता नही था। पर फिर जीतू ने तय किया और मुझे शादी के लिए हां करने के लिए तैयार कर ही लिया!
लाल नेल पोलिश लगायी थी मैंने और अब वो गोल्डन कलर की अंगूठी जैसे कह रही थी कि माया तुम कुछ देर में जीतू (अंकल) की बीवी बन जाओगी।
और जीतू अपने फ़ोन से मेरी तस्वीरे ले रहे थे। और हर तस्वीर के साथ कुछ न कुछ बोलते जा रहे थे। जीतू (अंकल) की शैतानियों का कोई अंत नही था। कह रहे थे कि “अब तो मुझे जल्दी ही एक बच्चा चाहिए ….शादी के लिए हां करने में तुमने ही देर की इतनी| अब मुझे कोई न नुकुर नही चाहिए। एक साल में बच्चा चाहिए।”
“जीतू (अंकल) बस भी कीजिये मुझे शर्म आती है…”, और मेरे गाल शर्म से लाल हुए और चेहरे पे शर्म की लाली हुई नही कि फ़ोटो कैद कर ली उन्होंने। फिर बोले, “जरा सगाई वाली अंगूठी दिखाते हुए फ़ोटो खीचने दो माया।” फिर मेरे पास आये और अपने हाथो से मेरी चुन्नी ठीक की, मेरी चूड़ियां सही की और बालो को मेरे उभरे हुए स्तनों पे डाल दिया फिर मुझे हाथ उठा के अंगूठी दिखाते हुए बिठाया और फोटो ली। फिर मेरे दोनों हाथो में artificial मेहँदी लगायी और लाल नेल पेंट से मिसेज़ माया जीतू लिख दिया। मेरी कुर्ती उठाने लगे …”क्या करते हो जी! ..हटो दूर …”, मैंने उनसे कहा| पर उन्होंने मुझे बेड पे लिटा के मेरी नाभि पे भी एक फूल वाली डिजाईन बना दी।
“मुझे गुदगुदी हो रही है जीतू प्लीज़।”, मैंने शरमाते हुए कहा| तो वो मेरे कानो में बोले …”अभी गुदगुदी हो रही है फिर रात में कैसे सोओगी मेरे साथ ….?” मै तो नज़र ही नही मिला पा रही थी उनसे। फिर लाल ब्लाउज और प्रिंटेड साड़ी लेके मैं बाथरूम में चली गयी।
मुझसे वहां साड़ी पहनी नही गयी और मै ब्लाउज पेटीकोट में ही आ गयी बाहर। “बड़ी बेशरम औरत बन गयी हो माया तुम।”
“चुप रहो आप जीतू! मैं वहा छोटे से बाथरूम में साड़ी नही पहन सकती। प्लीज़ मेरी हेल्प करो पड़े पड़े बेड पे बस मुझे घूरे जा रहे हो।”, मैंने कहा| फिर मुझे लगा कि जीतू (अंकल) को कहाँ बुला लिया। जीतू आए मेरे पास और साड़ी खोल के मुझे दी। और मुझे साड़ी पहहने में मदद की। मेरे पल्लू और निचे की प्लेट्स बनाने में मेरी हेल्प करते रहे। पल्लू को पीछे पिन किया। प्लेट्स में भी पिन लगायी। मुझे ऊँचा सा ब्राइडल जुड़ा बनाने में हेल्प की|
फिर मैंने उनकी लायी दुल्हन वाली ज्वेलरी पहनी। नाक में बड़ी सी नथ पहनने के बाद घूँघट लेने के लिए लाल ओढ़नी मैंने जुड़े में पिन कर ली। जीतू बस मुझे घूरे जा रहे थे। मैंने हाथो और माथे पर भी ब्राइडल गहने पहन लिए। जीतू बीच बीच में में मेरी फ़ोटो भी ले रहे थे और विडियो भी बनाते जा रहे थे। मै जब तैयार हो गयी तो जीतू दो फूलो की वरमाला ले आये। एक उन्होंने मेरे हाथ में दे दी और एक खुद ले के खड़े हो गए।
पहले मेरे बहुत सारे पोज़ बनवाके फ़ोटो खींचे और फिर वो घडी आ ही गयी। मैं जीतू के लाये चुस्त से लाल ब्लाउज में नई टाइट ब्रा में और सॉफ्ट पैंटी में चूडियों और गहनो से भरी खड़ी थी वरमाला लिए| जीतू सामने खड़े थे। मुझसे उनकी तरफ देखा नही जा रहा था। फिर भी मुझे जीतू पे गुस्सा भी आ रहा था और प्यार भी।गुस्सा इसलिए कि मैं बोली रही थी कि तुम भी कुरता पायजामा पहन लेना लेकिन उन्होंने नहीं पहना और प्यार इसलिए कि क्या कोई मेरे जैसी औरत के लिए इतना करता है भला? पर अभी भी उनका जादू का पिटारा खत्म नही हुआ था। देख रही थी की पैंट की जेब से एक भारी सी पायल आ गयी बाहर। मेरे पैरो में आके बैठ गए जीतू और प्यार से मुझे नयी चमकती हुई भारी चौड़ी सी पायल पहना दी।
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मै उनकी तरफ देख रही थी कि क्या करना है अब…..”अरे देख क्या रही हो दुल्हन पहले वरमाला डालती है।”, वो बोले| मैं धीरे से बढ़ी और जीतू के गले में झट से वरमाला डाल दी। “ओह हो मेरी होने वाली घरवाली तुम्हे बड़ी जल्दी पड़ी है। फ़ोटो तो ले लेने देती।”
फिर उन्होंने मुझे खूब घूरते हुए धीरे धीरे वरमाला पहना दी। मैने घूँघट किया हुआ था और ज्यादा ठीक से नही देख पायी कि जीतू को क्या और कैसा फील हुआ। पर मैं सातवे आसमान में उड़ रही थी। मेरी नथ कुछ ढीली हुई तो मै हाथ उठा के सही करने लगी….और उधर जीतू एक एक तस्वीर उतार रहे थे। फिर जीतू ने मुझे बेड पे बिठाया और मुझे दो जोड़ी चमकती हुई बिछिया पहना दी। मेरे गले में मोटा सा मंगलसूत्र पहनाया। मेरी मांग से मांग टिका खिसका के मेरी मांग भर दी सिन्दूर से। और फिर एक पेपर दिया पढ़ने को। उसमें दुल्हन और दूल्हा जो कस्मे खाते है वो सातो कस्मे लिखी हुई थी।
“प्लीज़ जीतू मुझे बहुत शर्म आ रही है ….” मैं आखिर कैसे बोलती कि आज से मै आपकी धर्मपत्नी हूँ और सात जन्मों तक मेरा तन और मन सब आपको अर्पित है। पर जीतू ने अपने मन की मनवा के ही मानी।विडियो और बना लिया। फिर उन्होंने मुझे मुंह दिखाई में एक गुलाब का फूल दिया और मुझे आपनी बांहों में भर लिया। दिल तो उन्होंने मेरा आज सुबह ही जीत लिया था लेकिन अब मुझे पूरी तरह अपनी अर्धांगिनी बना लिया। फिर धीरे से मुझे चूम लिया और बेड पे लिटा दिया। और मेरी नाभि को जोर जोर से चूसने लगे। मेरी बगल में आए और लेट गए और फिर मेरे ब्लाउज में पीछे हाथ ले जाके मुझे सहलाने लगे। एक एक करके मेरे सारे गहने उतार दिए। और फिर अपने सीने पर मुझे खिंच लिया।
मैं जो इंतजार कर रही थी आखिर वो घडी आ गयी थी। ब्लाउज में हाथ डाल के उन्होंने मेरी ब्रा खोल दी। और फिर मेरे दोनों निप्प्ल्स हाथ से दबाने के बाद चूसने लगे। मैं बहुत गर्म हो गयी थी। मेरी सांसे तेज तेज चल रही थीं। पर वो और जोर जोर से मेरे निप्प्ल्स को कभी दांतो से काटते कभी उनको अपने मुह में ले जाते। उनके हाथ भी मेरे पुरे बदन पर इधर उधर मुझे छेड़ रहे थे। फिर हम दोनों को नींद आ गयी और कोई 2 बजे मुझे लगा कि मैं किससे लिपट के सो रही हूँ?
और फिर जीतू को देखा जो मेरे ब्लाउज के ऊपर हाथ रखे मजे से सो रहे थे। मै धीरे से उठी और हाथ पीछे ले जा के ब्रा का हुक लगाया फिर ब्लाउज पहना और बेड से उतर के अपनी साड़ी ठीक की, बेकार हो गयी प्लेट्स ठीक कर शीशे में मैंने अपने आप को देखा। बिखर गए बालो को और लिपस्टिक को ठीक किया। फिर ब्लैक टी बनायीं और फिर अपनी दर्जनों चूड़ियों की खनक से जीतू को जगाया।
यही थी अंकल की लीला के बहाने ठरकपन और हवस मिटाने का उद्देश्य। लेकिन इस बहाने मुझे भी मौक़ा मिला एक औरत होने का, एक दुल्हन होने का, एक घरवाली होने का अनुभव महसूस करना और सच कहूँ तो कभी भी मुझे नही लगता था कि एक आदमी मुझे इतने प्यार से ये सब एहसास करा देगा। जीतू ने मुझे सब कुछ दिया। जहाँ मै उनसे एक बार मिलने को कतराती थी वहा अब मैं जीतू के पीछे पड़ी रहती हूँ मिलने के लिए, कि कब वो अपने फ्लैट से मेरे फ्लैट में अपनी बीवी के पास आये। जीतू जब भी मेरे फ्लैट में आते हर बार जीतू और मै कुछ नया प्लान करते है। जीतू मुझे बाहर भी ले गए है। पर वो कहानी फिर कभी। सच कहूं तो लगता है जैसे मैं भाग्यशाली हूँ जो मुझे जीतू (अंकल) जैसे पति मिले| पर खुश भी हूँ कि 2 साल जीतू द्वारा छेड़ने के बाद आखिर मैंने हिम्मत कर अपने अन्दर की औरत को बाहर आने का मौका दिया| एक बात और कहूँगी कि हम दोनों ही एक सही मैच है और ……इन्तजार करते रहते है अगली मुलाक़ात का।
आपकी अपनी
माया लियॉन (Maya Leone)








माया लियॉन (Maya Leone)
2 comments:
Bahut achhi kahani thi. Aise hi likhte Raha Karo.
Koi hai kya
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