Monday, 29 May 2017

हलाला ( मर्डर से क्रोस्सड्रेस्सेर (Crossdresser) तक का सफ़र ) 2.

हलाला ( मर्डर से क्रोस्सड्रेस्सेर (Crossdresser) तक का सफ़र ) 2.


मैं जानती हूँ कि आप जानने को बड़े उत्सुक है कि एक औरत के रूप में मेरी पहली रात कैसी बीती ? क्या वो रात मेरी औरत के रूप में सुहागरात थी ?  क्या मैंने औरत होने का पूर्ण शारीरिक सुख पाया?  मुझे बताने में थोड़ी झिझक हो रही है। हाँ मैं एक औरत जो ठहरी। आप नहीं समझेंगे कि एक औरत के लिये शारीरिक सम्बन्ध क्या मायने रखता है। ऐसा नहीं है कि मेरे साथ यह औरत बनने के बाद हुआ है। जब मैं पुरुष क्रोसड्रेसर थी तब भी ऐसा न था कि मुझे सिर्फ औरतों के कपडे पहनना अच्छा लगता था। मेरे अंदर एक औरत हमेशा से छुपी हुई थी। वो औरत जो प्यार करती थी, ममता और शालीनता से भरी हुई थी, जो रिश्तो को जोड़कर रखने में विश्वास रखती थी, बेहद ही खूबसूरत और प्यारी औरत थी वो। छुप छुप कर सिसकती थी वो कि उसे बाहर आने का एक मौका तो दो। वो किसी का बुरा नहीं करेगी। आज़ाद होकर कितना चहकती वो। उस औरत को आज़ादी मिलती तो मैं पुरुष रूप में भी निखर जाती। शायद यही सालों की आज़ादी की चाहत थी, जिसकी वजह से जब मेरा तन औरत रुपी हो गया तो मैं वह सब कर लेना चाहती थी जो एक औरत करती है।


और उस रात नवाज़, जो की अब मेरा शौहर था, उसने जब मेरी सैटिन नाईटी में अपने हाथों को डालकर मेरे कोमल मुलायम स्तनों को छूना शुरू ही किया था, मैंने जो अपने रोम रोम में महसूस किया, आज भी उसे याद कर मेरे अंग अंग में आग लग जाती है। आँखें बंद करके याद करू तो मेरे बदन के एक एक रोम में जो सनसनी थी, उसे महसूस कर मदहोश हो जाती हूँ। भूल नहीं सकती मैं, एक बेगम-जान के रूप में मेरी पहली रात। मैं पहले ही आपको चेतावनी दे रही हूँ कि इसे पढ़कर आप की रातें बेचैन हो सकती है, और आप में भी एक औरत बनने की ललक लग सकती है जिसको पूरा करना कभी आसान न होगा। जो मैं आगे बताऊंगी, आप को भी बेकाबू कर देगी। क्या आप तैयार है मेरी कहानी सुनने को? मुझे फिर न कहना की मैंने चेताया नहीं था।

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Real Crossdresser Stories II

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उस रात हम मियाँ-बीवी दोनों के जिस्म में मानो आग सी लगी हुई थी। मेरा औरतरूपी तन और उसमे मुझे उत्तेजित करते हार्मोन, मुझे उन्हें वश में करना नहीं आता था। पर फिर भी खुद को काबू करते हुए बिस्तर में मैं नवाज़ से दूर हो पलट कर सो गयी थी। पर कुछ ही देर बाद नवाज़ ने पलटकर मुझे पीछे से आकर अपनी बाहों में पकड़ लिया। मेरा कोमल सा नाज़ुक बदन उसके मजबूत बड़े बदन में मानो समा गया। नवाज़ का एक हाथ मेरी सैटिन नाईटी की खुली गर्दन से होते हुए मेरे चू-चों तक पहुच चुका था। पहले तो उसने मेरे निप्पलों को छुआ, जो उसके स्पर्श से तुरंत कठोर हो गए। मेरे दिल दिमाग में मानो बिजली का करंट दौड़ गया था। लग रहा था कि नवाज़ काश मेरे निप्पलों को ज़ोरो से दबा दे या अपने दांतो से उन्हें कांटे। पर वो उन्हें सिर्फ हलके हलके छूता रहा। फिर उसके हाथ मेरे स्तनों को पकड़ कर कुछ हलके-हलके दबाने लगे। मेरी साँसे गहरी होती जा रही थी। मैं अपना वश खो रही थी। वहीँ नवाज़ का पुरुष-लिंग मेरे नितम्ब (हिप) को छू रहा था। पल पल मानो वह और कठोर और बड़ा होता जा रहा था। अपने आप से वश खोती हुई मैं अपनी नितम्ब उसके पुरुष-लिंग के और करीब ले जाकर उसे दबाने लगी जैसे मैं उसे अपने अंदर समा लेना चाहती थी।


हम शौहर-बेगम अब अपने वश से बाहर होते जा रहे थे। मैं नवाज़ के ऊपर चढ़ कर अपने चू-चों को उसके सीने से दबाने लगी। 


औरत के तन का रग रग उत्तेजना में मचल उठता है। इतने सारे एहसास एक साथ मैंने पहले कभी महसूस न कीये थे। नए जिस्म की कामुकता में मदहोश होते हुए मेरे हाथों की मुट्ठी उन्माद में कसती चली गयी। मेरे होंठ तड़प उठे और मेरे दांतों से मैं अपने होंठो को कांटकर खुद को काबू करने की असफल कोशिश करती रही। ज़ोरो से मेरे चू-चों को अपने हाथों से मसल दो नवाज़, यह चीखने को जी कर रहा था। मेरे अंदर आकर मुझे औरत होने का सुख दे दो, इस आवाज़ को मैं दबाती रही। मेरे चू-चे उस जोश में जैसे और बड़े होते जा रहे थे और सनसनी बढ़ती जा रही थी। आखिर मैंने अपना एक हाथ पीछे करके नवाज़ का पुरुष-लिंग पकड़ लिया जो अब तक विशाल हो चूका था और मुझमे प्रवेश करने को तैयार था। मै अपने हाथ औरत की तरह छोटे, कोमल और मुलायम महसूस कर रही थी। एक औरत के हाथ में पुरुष का लिंग बहुत ही बड़ा लगता है, या शायद नवाज़ की उत्तेजना में वह बहुत बड़ा हो गया था। मैं उसे ज़ोर से पकड़ कर सहलाने लगी। और अपने दुसरे हाथ से नवाज़ का हाथ पकड़ कर अपने चू-चों को ज़ोरो से दबाने का इशारा देने लगी। मेरी गु-दा) में जो हलचल मची थी उसको तो मैं बयान भी नहीं कर सकती। मेरी खुली नंगी पीठ पर पड़ती नवाज़ की गर्म साँसे मुझे और नशीला कर रही थी। न जाने कब मैं आँहें भरने लगी थी।

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पर तभी नवाज़ के हाथ रुक गए। नवाज़ अब मेरे ऊपर आ चुका था। ऐसा लगा की अब वो मेरे नरम कोमल चू-चों को चुम कर और फिर अपने दांतो से काट कर मुझे और उकसाएगा। पर ऐसा कुछ न हुआ। मत रुको, प्लीज़। मैंने अपनी आँखों से नवाज़ से कहा। मेरा मन बात करने का न था। मेरे जिस्म में आग लगा कर यह क्या कर रहा है नवाज़? मेरे स्तन तुम्हारे होंठो के लिए तरस रहे है और तुम मुझसे क्या कहना चाह रहे हो? मैं मन ही मन सोच रही थी। अपनी उत्तेजना के बीच मैंने हाँ में सिर्फ “उम हम्म” कहा।  मैं मचली जा रही थी, नवाज़ कुछ बोलने ही वाला था कि मैंने अपना वश खोते हुए नवाज़ के सीने से लगकर उसे वापस नीचे कर मैं उसके मजबूत विशाल तन पर चढ़ गयी।



आपकी माया बेगम (Maya Begum)

Saturday, 20 May 2017

हलाला ( मर्डर से क्रोस्सड्रेस्सेर (Crossdresser) तक का सफ़र )

हलाला ( मर्डर से क्रोस्सड्रेस्सेर (Crossdresser) तक का सफ़र )

मै शहनवाज़ खान की ओर धीरे धीरे  आकर्षित होने लगा वो रोज़ दुकान से घर आता  मै उसके लिए खाना बनाकर तैयार रखता था मै उसको खाना देकर उसके बताये अनुसार नहाने चला जाता था। खाना खाने के बाद फिर वो भी नहाता था। उसके बाद मुझे बैडरूम में ले जाकर मेरे साथ औरतों जैसा व्यवहार करके मेरे शरीर में जनाना तड़प पैदा करता था। ये सिलसिला इसी तरह काफी समय तक चलता रहा, मुझे ऐसा लगने लगा था जैसे मेरे शरीर में औरत जैसी हरकत होती है। एक रोज़ शहनवाज़ अपनी दूकान से आया दरवाजे पर दस्तक हुई  ठक-ठक ठक-ठक मैंने दरवाज़ा खोला, शाहनवाज़ ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और थोड़ी देर बाद मुझे छोड़कर खाने के बारे में पूछा मैंने जवाब दिया डाइनिंग टेबल पर रखा है खा लो, मै नहाने जा रहा हूँ शहनवाज़ ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ में एक पैकेट थमा दिया। मैं बोला इसमें क्या है ? तो शह नवाज़ बोला इसमें तुम्हारे लिए कुछ है खोलो और देखो। मैंने वो पैकेट खोला तो उसमेँ लेडीज कपडे थे, मै बोला ये क्या है शहनवाज़ ? तो शह नवाज़ ने मुझे गले से लगा लिया और बोला मै तुमसे प्यार करने लगा हूँ मनोज तुम्हारा साथ मै, अपनी बेगम के रूप में चाहता हूँ, तुम मेरे लिए मेरी बेगम बन जाओ मनोज। मेरे लिए तुम मनोज से माया बेगम बन जाओ, औरत जैसे बन-ठन के रहो, लेडीज कपडे पहनो, इससे 2 फायदे हो जायेंगे:-
1.) तुम्हे पुलिस कभी नही ढूंढ पायेगी
2.) तुम्हे अपनी बेगम बनाने की मेरी चाहत पूरी हो जायेगी।



मैंने कहा मेरे दिमाग में ऐसा कुछ नही आया है, लेकिन आज तुम सोच कर आये हो इसलिए मै ये लेडीज कपडे पहन लेता हूँ। शह नवाज़ ने आखों से ही मुझे शुक्रिया बोला, और बोला सुनो मनोज जब तुम लेडीज कपडे में अपने आप को औरत महसूस करने लगो तो उसके बाद में औरत की तरह ही बात करना जैसे - मै नहा ली, मै तैयार हो गई, मै तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ। मुझे कुछ अजीब सा लगा, मैंने शह नवाज़ को बोला मुझे ये सब करने में अजीब लग रहा है लेकिन तुम्हारे लिए मै आज इतना कर देता हूँ। शह नवाज़ ने मुझे टोका कर देता हूँ नहीं माया बेगम कर देती हूँ, मै बोली वो तो ठीक है लेकिन माया बेगम कौन है ? इस पर शह नवाज़ बोला जब तुम आदमी से औरत बनोगे मनोज तो उसके बाद तुम मनोज से माया बेगम हो जाओगे, मुझे थोड़ी सी हसीं गई। मेरे हँसने पे शह नवाज़ बोला मेरी जान ले लोगी क्या ??




उसके बाद मै तैयार होने चला गया और शह नवाज़ खाना खाने लगा। मै बाथरूम में गया सबसे पहले अपनी बॉडी के थोड़े बहुत अनचाहे बाल वीट से रिमूव करके लेडीज साबुन से खुशबू के लिए नहाया नहाने के बाद टॉवल से अपनी बॉडी को सुखाकर बॉडी लोशन लगाया। फिर पैकेट को खोला उसमेँ ब्रा, पैंटी, नाइटी, चुन्नी, और थोडा बहुत सजने सवरने के साथ श्रृंगार का सामान भी था, मै ये सब देखकर चोंक गया, मेरे दिमाग में बात आने लगी कि ये शह नवाज़ मुझसे चाहता क्या है? फिर मैंने सोचा कोई बात नहीं वो मुझमेँ अपनी बेगम को देखता है शायद इसलिए ये सब करवा रहा है मुझसे, लेकिन इसके एवज़ में मुझे पुलिस से भी तो बचा रहा है नहीं तो कभी का पुलिस पकड़कर मुझे जेल में बंद कर देती और मुझे यहाँ रहकर सिर्फ अपना गेटअप बदलकर ही तो रहना है। ज्यादा से ज्यादा औरत के गेटअप में शह नवाज़ मेरे साथ चुम्मा चाटी ही तो करेगा मेरा शोषण थोड़े ही करेगा ? मैंने अपने अंडरवियर की तरह पैंटी पहन ली बहुत ही जनाना सा महसूस हो रहा था, उसके बाद कई बार ट्राई करने के बाद मैंने ब्रा भी पहली, क्या बताऊँ आप लोगोँ को मुझे अंदर से बहुत गुदगुदी सी हो रही थी, सच कहूँ तो मै उस फीलिंग को शब्दों में बता नहीं सकती। मैंने सोचा ब्रा बिना बूब्स के कुछ अजीब सी लग रही है मैंने इधर उधर देखा जब कुछ नहीं दिखा तो मैंने अपना अंडरवियर और बनियान ब्रा के अंदर डालकर थोड़े बहुत बूब्स जैसे लगने वाले नकली बूब्स बना लिए। फिर मैंने नाइटी उठाई वो हलके गुलाबी कलर की साटन कपडे की थी, मै अपने साथ ये सब होने पर बहुत उत्तेजित हो रहा था। मैंने औरतों की तरह अपने सर के ऊपर से नाइटी को पहन लिया। फिर उसमें 4-6 कंगन थे वो पहन लिए, पैरों में पायल पहन ली, होंठों पर चमकने वाली हलके पिंक कलर की लिपस्टिक लगा ली, आँखों में काजल लगा लिया बस यही सामान था पैकेट में, एक चुन्नी और रह गई थी। शायद शह नवाज़ उसे मेरे सर को ढकने के लिए लाया होगा क्योंकि मेरे बाल तो छोटे हैं औरतों की तरह लंबे नहीं है। पूरी तरह तैयार होने के बाद आपको क्या बताऊँ मुझे कितना ज्यादा जनाना महसूस हो रहा था मेरे पूरे बदन में एक बिजली सी दौड़ रही थी। मुझे कुछ समय के लिए ऐसा लगा कि कोई मर्द आये और मुझे अपनी आगोष् में ले ले। लेकिन कुछ ही पल बाद मै सपने से बाहर निकला और सोचने लगा कि मनोज तुझे जाने क्या हो गया है?? क्या-क्या सोचता रहता है ?

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तैयार होने के बाद मै वाशरूम से बाहर निकला तो मैंने देखा कि शह नवाज़ खाना खाकर सब कुछ साफ़ करके जैसे पलकें बिछाकर मेरा ही इंतज़ार कर रहा था, ये सब देखकर मुझे शर्म सी गई। शह नवाज़ मुझे देखकर बोला- ये चाँद-सा रोशन चेहरा सिर्फ मेरे लिए सिर्फ मेरे लिए, मुझे शर्म गई और मैंने लड़कियों की तरह अपनी दोनों हथेलियों से अपने चेहरे को छुपा लिया, शहनवाज़ बोला - अपने शौहर से क्या शर्माना जल्दी आओ मेरी बाहों में मुझे जाने क्या हुआ ? मै चुम्बक की तरह शह नवाज़ की ओर खिंचती चली जा रही थी। मेरी पायल की आवाज़ और मेरे कंगन का खनकना मुझे और भी ज्यादा मदहोश कर रहा था। मै शहनवाज़ के पास जाकर खड़ा हो गया। शह नवाज़ ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी बाहों में मुझे खीँच कर अपनी आग़ोश में ले लिया।

मैं इसी तरह कुछ देर तक अपनी सुधबुध खोकर उसकी बाहों में पड़ा रहा। जब मैंने होश संभाला तो शह नवाज़ मेरी छाती को बूब्स की तरह दबा रहा था। मै झट से उससे अलग हुआ और नाराज़ होने लगा कि ये क्या कर रहे हो ? तुम्हारे कहने पर मैं रोज़ तुम्हारे साथ लिपलॉक चुम्बन करता हूँ, अपना शरीर तुम्हे औरत की तरह सौंप देता हूँ, आज तुम्हारे कहने पर लेडीज कपडे भी पहन लिए और तुम मुझसे क्या चाहते हो? मेरे इतना बात करने पर शह नवाज ज़ोर से हँसने लगा और बोला देखो माया बेगम मैंने तुम्हे पहले ही बोला था कि तुम इस तरह से बात करोगी जैसे तुम औरत हो आदमी नहीं , दूसरी बात मैंने तुम्हे पहले भी बताया था, कि तुम आदमी रूप में तो जेल से बहार रह नहीं सकते तुम्हे जेल जाना ही पड़ेगा क्योंकि तुमने बहुत ही पहुँच वाले इंसान का खून किया है और मैंने तुम्हे ये भी बताया था कि जेल में जानवरों से भी ज्यादा बुरी हालत हो जाती है। तीसरी बात मैंने तुम्हे बताया था कि मुझे क्रोस्सड्रेस्सेर Crossdresser बहुत पसंद हैं, इतनी कि मै उस से शादी करलूं जो कि अब तुम मिल गई हो तुमसे करूँगा।


मै भी सोचने लगा ये तो है अगर पुलिस ने मुझे पकड़ लिया तो जेल में मेरी हालत ख़राब हो जायेगी, और हो सकता है मुझे फांसी या उम्रकैद हो जाये, इस से अच्छा तो यही है कि    शहनवाज़ की क्रोस्सड्रेस्सेर बेगम बन जाऊँ और ये सोच के अपना जीवन जियूँ कि मै लड़का नहीं औरत ही पैदा हुआ था, और उसी वक़्त से मैं अपने आप को एक हसीन, कामुक और दिलचस्प औरत मानने लगा। और अपने बोलने के तरीके को भी बिलकुल हुबहू औरत जैसा ही कर लिया, जो कि आगे कहानी में मेरे ब्लॉग के पाठकों को पढ़ने को मिलेगा। मैंने बहुत ही हसीन अंदाज़ में शह नवाज़ को बोला मै पूरी तरह तुम्हारी आगोश में आने को तैयार हूँ मेरे शौहर।
यह सुनते ही मानो जैसे शह नवाज़ की खुशी का कोई ढिकाना ही नहीं रहा।

मेरे होने वाले शौहर ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचा, मै सीधा उसकी गिरफ्त में पहुँच गयी। उसने मुझे अपने तन से इस तरह चिपटा लिया जैसे नाग-नागिन आपस में लिपटकर एक दूसरे में खो जाते हैं ठीक वैसे ही वो भी मुझमें खो गया लेकिन मेरे लिए इतना आसान था क्योंकि वो तो मुझे औरत समझ रहा था लेकिन मै अपने-आप को इतनी जल्दी औरत कैसे समझ लेती। फिर भी मै जितना हो सकता था उसका साथ दे रही थी, उसने  अपने एक हाथ से मेरी पीठ को और दूसरे से मेरे नितम्बों को कस रखा था। मेरी गर्दन को चूमे चला जा रहा था, फिर मुझे लेकर अपने बेड पर गिर पड़ा


 मेरे पूरे तन पर हाथ फेरता हुआ मेरे होंठों पर ऊँगली घुमाने लगा, और देखते ही देखते उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में यूँ जकड लिया जैसे उसके मेरे होंठ एक ही हों। बहुत देर तक होंठ चूसने के बाद उसने अपने होंठों को मेरे होंठों से अलग किया, और मुझे ऐसा लगा जैसे मै कई दिनों बाद किसी जानवर की कैद से छूटी हूँ लेकिन बदन में जाने एक अजीब सी बिजली दौड़ रही थी। मै समझ नहीं पा रही थी कि ये मुझे क्या हो रहा है ?? मै सोच ही रही थी कि शह नवाज़ अपने पैरों से मेरी नाइटी को ऊपर कर रहा था, मेरी जाँघों तक नाइटी आने के बाद उसने हाथ से ऊपर करके मेरी नाइटी उतार दी और ब्रा के ऊपर से ही मेरी छाती को दबाने लगा

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Real Crossdresser Stories II

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हम दोनों एक दूसरे में कुछ इस कदर खो गए कि हमे पता ही नहीं लगा कि कब शाम हो गई ? और कब शाम से रात हो गई ?? यह हमारी पहली रात थी जिसमे मैं पत्नी थी और शहनवाज़ शौहर। इतने समय से मेरे शरीर के साथ जो छेड़छाड़ हो रही थी उसके कारण मेरे तन बदन और मन में औरत जैसा अहसास होने लगा था। मै सोचने लगी कि जो मेरे तन मन में चल रहा है वह बेकाबू हो जाए तो आज हमारी सुहागरात हो जाए। मुझे इस बात का बेहद डर भी था। शह नवाज़ बोला मेरे गले लिपट जाओ।
*नोट : शह नवाज़ बेहद बड़ा नाम है इसलिए मै अब से सिर्फ नवाज़ लिखूंगी।
मुझे तो सोच सोच कर ही हलचल हो रही थी कि मैं कैसे अपने आप पर काबू रख सकूंगी।

मैं बिस्तर में नवाज़ के बगल में गयी। मैं जैसे ही उसके पास पहुंची, उसने अपनी बाँहें खोल ली। और मैं चुपचाप उसके मजबूत बांहों में गयी। मैंने उसके बड़े से सीने पर अपना सिर रख दिया, और अपना एक हाथ भी। नवाज़ का एक हाथ मुझे मेरी पीठ पर पकडे हुए था। कुछ देर बाद वो मुझे पीठ पर सहलाने लगा। मेरे स्तन नवाज़ के पुरुष तन से दब रहे थे। मैं उतावली हुए जा रही थी। यह तो अच्छा हुआ था कि मैंने ब्रा पहनी हुई थी। वरना खुले स्तन मुझे और जाने कितना मदमस्त करते। नवाज़ का हाथ मेरी पीठ पर मेरी ब्रा स्ट्राप पर जा कर रुक गया। फिर उसने मेरी नाइटी को पीछे से ऊपर खिंचा। मैं कुछ बोली। फिर उसका हाथ मेरे नितम्ब *(ass)* पर मेरी पैंटी को छूता हुआ ऊपर की ओर बढ़ने लगा। मेरी कमर पर उसका फिसलता हाथ मेरे तन-मन में आग लगा रहा था। उसका हाथ मेरी ब्रा के हुक पर जाकर रुका। नवाज़ ने एक ही हाथ से वह हुक खोल दी। फिर अपने दुसरे हाथ से मेरी नाईटी के नीचे से मेरे कोमल पेट को छूते हुए सामने ब्रा तक गया।
नवाज़ ने अपने हाथो से मेरी नाईटी को ऊपर सरका कर मेरी ब्रा की हुक खोल दी।

माया बेगम, रात भर ब्रा पहन कर रहोगी तो तुम्हारे कंधो पर दर्द होगा और तुम चैन से सो भी पाओगे।”, नवाज़ ने मुझसे कहा और अपने हाथो से मेरी ब्रा उतारने लगा। यह करते हुए उसके हाथ मेरे स्तनों को भी छू रहे थे। मैं मन ही मन सोच रही थी की नवाज़, प्लीज़ मेरे स्तन को अपने हाथों से मसल दो। तब तक उसने मेरी ब्रा उतार दी। मेरे दोनों स्तन अब आज़ाद हो चुके थे। मैं नवाज़ के सीने से ज़ोर से लग गयी। मेरे स्तन और दब गए थे। मेरी तन की आग बढ़ती ही जा रही थी।

कल सुबह हमें क़ाज़ी साब के पास जाना है। कल हम दोनों मियाँ बीवी बन जायेंगे नवाज़?”, मैंने नवाज़ से पूछा। उसने मेरे गालों पर प्यार से एक छोटा सा चुम्बन दिया और कहा, “सब ठीक होगा। कल सुबह के बाद तुम मेरी शरीक--हयात बन जाओगी।मैं उसके सीने को अपने हाथो से सहलाने लगी। शायद नवाज़ को यह अच्छा लगा और उसने भी मुझे माथे पर किस दिया। छोटे छोटे किस हमारी रोज़ की आदत थी। बस आज हम बदले हुए थे।



जाने क्यों मैं सीने पर सहलाते सहलाते, अपना हाथ नीचे की ओर ले जाने लगी। नवाज़ के पेट से नीचे और फिर उस जगह तक। नवाज़ का लिंग बिलकुल तन कर कठोर हो चुका था। वह भी अपने तन को काबू में रखने के प्रयास में था। मैंने नवाज़ के पेट से उसकी पैंट और फिर अंडरवेअर में हाथ डाल कर उसके कठोर लिंग को अपने हाथों से पकड़ लिया। एक बार पकड़ने पर उसे छोड़ने का मन हुआ।

अब मेरा मन बिलकुल बेकाबू हो रहा था। मेरे होंठ नवाज़ के होठो को चूमना चाह रहे थे। मेरे स्तन उसके हाथो से मसलना चाह रहे थे और मेरी गुदा उस कठोर लिंग को अपने अंदर लेना चाहती थी। मैं अपनी गुदा में एक हलचल महसूस कर रही थी। अब बेकाबू होकर मैं कुछ कर जाती पर किसी तरह काबू करके मैंने नवाज़ के लिंग को ऊपर की ओर लिटाते हुए अपना हाथ बाहर निकाल लिया। और झट से उसकी मजबूत बाँहों से निकल कर पलट कर सोने लगी। मैंने अपनी नाईटी को नीचे की ओर खिंच कर खुद को ढकने की कोशिश की।पर मेरी आँखों में नींद थी। नवाज़ से दूर होकर मेरी कामुकता थोड़ी कम हो गयी थी।
नवाज़ ने पीछे से मेरे बेहद करीब आकर मुझ पर हाथ रख दिया। उसका कठोर लिंग मुझे पीछे अपनी नितम्ब में महसूस हो रहा था। मानो वो मुझमे प्रवेश करना चाहता था। वो मेरे स्तनों को छूने लगा।


करीब 10 मिनट बाद नवाज़ मेरे पीछे से मेरे करीब गया। उसने अपने हाथ पहले मेरी कमर पर और फिर मेरी बांहो पर रखा। वो धीरे धीरे मेरे और करीब रहा था। उसका विशाल सीना मेरी पीठ से लग चूका था। फिर उसका नीचला तन भी मेरे नितम्बों के पास आने लगा। मैं उसका लिंग अपने नितम्बों पर महसूस कर पा रही थी। वह धीरे धीरे और बड़ा और कठोर होकर मानो मुझमे आना चाहता था। नवाज़ मुझसे अब पूरी तरह से लिपट गया था। उसका हाथ बांहो से हट कर मेरी नाईटी की खुली गर्दन के रास्ते अब अंदर मेरे स्तनों तक गया था। उसने महसूस किया कि मेरी बेगम के अभी जनाना स्तन नहीं हैं उसने वो कपडे निकाल दिए जिन्हें मैंने जनाना स्तन बनाने के लिए इस्तेमाल किया था। और फिर वो मेरी मर्दाना छाती को ही जनाना छाती महसूस करने लगा। उसने मेरे स्तनों को हलके से छुआ, फिर दोनों स्तनों को हिलाया। लेकिन वो उतना हिले जितना उन्हें हिलना चाहिए था। मेरा मन फिर बेकाबू होने लगा। मैं आँहे भर रही थी और मेरे दांत मेरे होंठो को काट रहे थे। नवाज़ अपनी उंगलियों से मेरे निप्पल को छूने लगा। मेरे निप्पल कठोर होने लगे। मेरे नितम्ब अब खुद खुद नवाज़ के लिंग को दबाने लगे। नवाज़ के हाथ अब मेरे स्तन को पकड़ कर मसलने लगे। मेरी साँसे बहुत गहरी हो गयी। क्या आज मेरी सुहागरात होने वाली थी? क्या मुझे औरत होने का शारीरिक सुख मिलने वाला था? क्या नवाज़ और मैं, नए पति-पत्नी बनने वाले थे? जानने के लिए मेरी कहानी पढ़ते रहिये।


आपकी माया बेगम (Maya Begum)