हलाला ( मर्डर से क्रोस्सड्रेस्सेर (Crossdresser) तक का सफ़र ) 2.
मैं जानती हूँ कि आप जानने को बड़े उत्सुक है कि एक औरत के रूप में मेरी पहली रात कैसी बीती ? क्या वो रात मेरी औरत के रूप में सुहागरात थी ? क्या मैंने औरत होने का पूर्ण शारीरिक सुख पाया? मुझे बताने में थोड़ी झिझक हो रही है। हाँ मैं एक औरत जो ठहरी। आप नहीं समझेंगे कि एक औरत के लिये शारीरिक सम्बन्ध क्या मायने रखता है। ऐसा नहीं है कि मेरे साथ यह औरत बनने के बाद हुआ है। जब मैं पुरुष क्रोसड्रेसर थी तब भी ऐसा न था कि मुझे सिर्फ औरतों के कपडे पहनना अच्छा लगता था। मेरे अंदर एक औरत हमेशा से छुपी हुई थी। वो औरत जो प्यार करती थी, ममता और शालीनता से भरी हुई थी, जो रिश्तो को जोड़कर रखने में विश्वास रखती थी, बेहद ही खूबसूरत और प्यारी औरत थी वो। छुप छुप कर सिसकती थी वो कि उसे बाहर आने का एक मौका तो दो। वो किसी का बुरा नहीं करेगी। आज़ाद होकर कितना चहकती वो। उस औरत को आज़ादी मिलती तो मैं पुरुष रूप में भी निखर जाती। शायद यही सालों की आज़ादी की चाहत थी, जिसकी वजह से जब मेरा तन औरत रुपी हो गया तो मैं वह सब कर लेना चाहती थी जो एक औरत करती है।
और उस रात नवाज़, जो की अब मेरा शौहर था, उसने जब मेरी सैटिन नाईटी में अपने हाथों को डालकर मेरे कोमल मुलायम स्तनों को छूना शुरू ही किया था, मैंने जो अपने रोम रोम में महसूस किया, आज भी उसे याद कर मेरे अंग अंग में आग लग जाती है। आँखें बंद करके याद करू तो मेरे बदन के एक एक रोम में जो सनसनी थी, उसे महसूस कर मदहोश हो जाती हूँ। भूल नहीं सकती मैं, एक बेगम-जान के रूप में मेरी पहली रात। मैं पहले ही आपको चेतावनी दे रही हूँ कि इसे पढ़कर आप की रातें बेचैन हो सकती है, और आप में भी एक औरत बनने की ललक लग सकती है जिसको पूरा करना कभी आसान न होगा। जो मैं आगे बताऊंगी, आप को भी बेकाबू कर देगी। क्या आप तैयार है मेरी कहानी सुनने को? मुझे फिर न कहना की मैंने चेताया नहीं था।
उस रात हम मियाँ-बीवी दोनों के जिस्म में मानो आग सी लगी हुई थी। मेरा औरतरूपी तन और उसमे मुझे उत्तेजित करते हार्मोन, मुझे उन्हें वश में करना नहीं आता था। पर फिर भी खुद को काबू करते हुए बिस्तर में मैं नवाज़ से दूर हो पलट कर सो गयी थी। पर कुछ ही देर बाद नवाज़ ने पलटकर मुझे पीछे से आकर अपनी बाहों में पकड़ लिया। मेरा कोमल सा नाज़ुक बदन उसके मजबूत बड़े बदन में मानो समा गया। नवाज़ का एक हाथ मेरी सैटिन नाईटी की खुली गर्दन से होते हुए मेरे चू-चों तक पहुच चुका था। पहले तो उसने मेरे निप्पलों को छुआ, जो उसके स्पर्श से तुरंत कठोर हो गए। मेरे दिल दिमाग में मानो बिजली का करंट दौड़ गया था। लग रहा था कि नवाज़ काश मेरे निप्पलों को ज़ोरो से दबा दे या अपने दांतो से उन्हें कांटे। पर वो उन्हें सिर्फ हलके हलके छूता रहा। फिर उसके हाथ मेरे स्तनों को पकड़ कर कुछ हलके-हलके दबाने लगे। मेरी साँसे गहरी होती जा रही थी। मैं अपना वश खो रही थी। वहीँ नवाज़ का पुरुष-लिंग मेरे नितम्ब (हिप) को छू रहा था। पल पल मानो वह और कठोर और बड़ा होता जा रहा था। अपने आप से वश खोती हुई मैं अपनी नितम्ब उसके पुरुष-लिंग के और करीब ले जाकर उसे दबाने लगी जैसे मैं उसे अपने अंदर समा लेना चाहती थी।
हम शौहर-बेगम अब अपने वश से बाहर होते जा रहे थे। मैं नवाज़ के ऊपर चढ़ कर अपने चू-चों को उसके सीने से दबाने लगी।
औरत के तन का रग रग उत्तेजना में मचल उठता है। इतने सारे एहसास एक साथ मैंने पहले कभी महसूस न कीये थे। नए जिस्म की कामुकता में मदहोश होते हुए मेरे हाथों की मुट्ठी उन्माद में कसती चली गयी। मेरे होंठ तड़प उठे और मेरे दांतों से मैं अपने होंठो को कांटकर खुद को काबू करने की असफल कोशिश करती रही। ज़ोरो से मेरे चू-चों को अपने हाथों से मसल दो नवाज़, यह चीखने को जी कर रहा था। मेरे अंदर आकर मुझे औरत होने का सुख दे दो, इस आवाज़ को मैं दबाती रही। मेरे चू-चे उस जोश में जैसे और बड़े होते जा रहे थे और सनसनी बढ़ती जा रही थी। आखिर मैंने अपना एक हाथ पीछे करके नवाज़ का पुरुष-लिंग पकड़ लिया जो अब तक विशाल हो चूका था और मुझमे प्रवेश करने को तैयार था। मै अपने हाथ औरत की तरह छोटे, कोमल और मुलायम महसूस कर रही थी। एक औरत के हाथ में पुरुष का लिंग बहुत ही बड़ा लगता है, या शायद नवाज़ की उत्तेजना में वह बहुत बड़ा हो गया था। मैं उसे ज़ोर से पकड़ कर सहलाने लगी। और अपने दुसरे हाथ से नवाज़ का हाथ पकड़ कर अपने चू-चों को ज़ोरो से दबाने का इशारा देने लगी। मेरी गु-दा) में जो हलचल मची थी उसको तो मैं बयान भी नहीं कर सकती। मेरी खुली नंगी पीठ पर पड़ती नवाज़ की गर्म साँसे मुझे और नशीला कर रही थी। न जाने कब मैं आँहें भरने लगी थी।
पर तभी नवाज़ के हाथ रुक गए। नवाज़ अब मेरे ऊपर आ चुका था। ऐसा लगा की अब वो मेरे नरम कोमल चू-चों को चुम कर और फिर अपने दांतो से काट कर मुझे और उकसाएगा। पर ऐसा कुछ न हुआ। मत रुको, प्लीज़। मैंने अपनी आँखों से नवाज़ से कहा। मेरा मन बात करने का न था। मेरे जिस्म में आग लगा कर यह क्या कर रहा है नवाज़? मेरे स्तन तुम्हारे होंठो के लिए तरस रहे है और तुम मुझसे क्या कहना चाह रहे हो? मैं मन ही मन सोच रही थी। अपनी उत्तेजना के बीच मैंने हाँ में सिर्फ “उम हम्म” कहा। मैं मचली जा रही थी, नवाज़ कुछ बोलने ही वाला था कि मैंने अपना वश खोते हुए नवाज़ के सीने से लगकर उसे वापस नीचे कर मैं उसके मजबूत विशाल तन पर चढ़ गयी।
मैं जानती हूँ कि आप जानने को बड़े उत्सुक है कि एक औरत के रूप में मेरी पहली रात कैसी बीती ? क्या वो रात मेरी औरत के रूप में सुहागरात थी ? क्या मैंने औरत होने का पूर्ण शारीरिक सुख पाया? मुझे बताने में थोड़ी झिझक हो रही है। हाँ मैं एक औरत जो ठहरी। आप नहीं समझेंगे कि एक औरत के लिये शारीरिक सम्बन्ध क्या मायने रखता है। ऐसा नहीं है कि मेरे साथ यह औरत बनने के बाद हुआ है। जब मैं पुरुष क्रोसड्रेसर थी तब भी ऐसा न था कि मुझे सिर्फ औरतों के कपडे पहनना अच्छा लगता था। मेरे अंदर एक औरत हमेशा से छुपी हुई थी। वो औरत जो प्यार करती थी, ममता और शालीनता से भरी हुई थी, जो रिश्तो को जोड़कर रखने में विश्वास रखती थी, बेहद ही खूबसूरत और प्यारी औरत थी वो। छुप छुप कर सिसकती थी वो कि उसे बाहर आने का एक मौका तो दो। वो किसी का बुरा नहीं करेगी। आज़ाद होकर कितना चहकती वो। उस औरत को आज़ादी मिलती तो मैं पुरुष रूप में भी निखर जाती। शायद यही सालों की आज़ादी की चाहत थी, जिसकी वजह से जब मेरा तन औरत रुपी हो गया तो मैं वह सब कर लेना चाहती थी जो एक औरत करती है।
और उस रात नवाज़, जो की अब मेरा शौहर था, उसने जब मेरी सैटिन नाईटी में अपने हाथों को डालकर मेरे कोमल मुलायम स्तनों को छूना शुरू ही किया था, मैंने जो अपने रोम रोम में महसूस किया, आज भी उसे याद कर मेरे अंग अंग में आग लग जाती है। आँखें बंद करके याद करू तो मेरे बदन के एक एक रोम में जो सनसनी थी, उसे महसूस कर मदहोश हो जाती हूँ। भूल नहीं सकती मैं, एक बेगम-जान के रूप में मेरी पहली रात। मैं पहले ही आपको चेतावनी दे रही हूँ कि इसे पढ़कर आप की रातें बेचैन हो सकती है, और आप में भी एक औरत बनने की ललक लग सकती है जिसको पूरा करना कभी आसान न होगा। जो मैं आगे बताऊंगी, आप को भी बेकाबू कर देगी। क्या आप तैयार है मेरी कहानी सुनने को? मुझे फिर न कहना की मैंने चेताया नहीं था।
यह कहानी आप
Real Crossdresser Stories II
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उस रात हम मियाँ-बीवी दोनों के जिस्म में मानो आग सी लगी हुई थी। मेरा औरतरूपी तन और उसमे मुझे उत्तेजित करते हार्मोन, मुझे उन्हें वश में करना नहीं आता था। पर फिर भी खुद को काबू करते हुए बिस्तर में मैं नवाज़ से दूर हो पलट कर सो गयी थी। पर कुछ ही देर बाद नवाज़ ने पलटकर मुझे पीछे से आकर अपनी बाहों में पकड़ लिया। मेरा कोमल सा नाज़ुक बदन उसके मजबूत बड़े बदन में मानो समा गया। नवाज़ का एक हाथ मेरी सैटिन नाईटी की खुली गर्दन से होते हुए मेरे चू-चों तक पहुच चुका था। पहले तो उसने मेरे निप्पलों को छुआ, जो उसके स्पर्श से तुरंत कठोर हो गए। मेरे दिल दिमाग में मानो बिजली का करंट दौड़ गया था। लग रहा था कि नवाज़ काश मेरे निप्पलों को ज़ोरो से दबा दे या अपने दांतो से उन्हें कांटे। पर वो उन्हें सिर्फ हलके हलके छूता रहा। फिर उसके हाथ मेरे स्तनों को पकड़ कर कुछ हलके-हलके दबाने लगे। मेरी साँसे गहरी होती जा रही थी। मैं अपना वश खो रही थी। वहीँ नवाज़ का पुरुष-लिंग मेरे नितम्ब (हिप) को छू रहा था। पल पल मानो वह और कठोर और बड़ा होता जा रहा था। अपने आप से वश खोती हुई मैं अपनी नितम्ब उसके पुरुष-लिंग के और करीब ले जाकर उसे दबाने लगी जैसे मैं उसे अपने अंदर समा लेना चाहती थी।
हम शौहर-बेगम अब अपने वश से बाहर होते जा रहे थे। मैं नवाज़ के ऊपर चढ़ कर अपने चू-चों को उसके सीने से दबाने लगी।
औरत के तन का रग रग उत्तेजना में मचल उठता है। इतने सारे एहसास एक साथ मैंने पहले कभी महसूस न कीये थे। नए जिस्म की कामुकता में मदहोश होते हुए मेरे हाथों की मुट्ठी उन्माद में कसती चली गयी। मेरे होंठ तड़प उठे और मेरे दांतों से मैं अपने होंठो को कांटकर खुद को काबू करने की असफल कोशिश करती रही। ज़ोरो से मेरे चू-चों को अपने हाथों से मसल दो नवाज़, यह चीखने को जी कर रहा था। मेरे अंदर आकर मुझे औरत होने का सुख दे दो, इस आवाज़ को मैं दबाती रही। मेरे चू-चे उस जोश में जैसे और बड़े होते जा रहे थे और सनसनी बढ़ती जा रही थी। आखिर मैंने अपना एक हाथ पीछे करके नवाज़ का पुरुष-लिंग पकड़ लिया जो अब तक विशाल हो चूका था और मुझमे प्रवेश करने को तैयार था। मै अपने हाथ औरत की तरह छोटे, कोमल और मुलायम महसूस कर रही थी। एक औरत के हाथ में पुरुष का लिंग बहुत ही बड़ा लगता है, या शायद नवाज़ की उत्तेजना में वह बहुत बड़ा हो गया था। मैं उसे ज़ोर से पकड़ कर सहलाने लगी। और अपने दुसरे हाथ से नवाज़ का हाथ पकड़ कर अपने चू-चों को ज़ोरो से दबाने का इशारा देने लगी। मेरी गु-दा) में जो हलचल मची थी उसको तो मैं बयान भी नहीं कर सकती। मेरी खुली नंगी पीठ पर पड़ती नवाज़ की गर्म साँसे मुझे और नशीला कर रही थी। न जाने कब मैं आँहें भरने लगी थी।
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पर तभी नवाज़ के हाथ रुक गए। नवाज़ अब मेरे ऊपर आ चुका था। ऐसा लगा की अब वो मेरे नरम कोमल चू-चों को चुम कर और फिर अपने दांतो से काट कर मुझे और उकसाएगा। पर ऐसा कुछ न हुआ। मत रुको, प्लीज़। मैंने अपनी आँखों से नवाज़ से कहा। मेरा मन बात करने का न था। मेरे जिस्म में आग लगा कर यह क्या कर रहा है नवाज़? मेरे स्तन तुम्हारे होंठो के लिए तरस रहे है और तुम मुझसे क्या कहना चाह रहे हो? मैं मन ही मन सोच रही थी। अपनी उत्तेजना के बीच मैंने हाँ में सिर्फ “उम हम्म” कहा। मैं मचली जा रही थी, नवाज़ कुछ बोलने ही वाला था कि मैंने अपना वश खोते हुए नवाज़ के सीने से लगकर उसे वापस नीचे कर मैं उसके मजबूत विशाल तन पर चढ़ गयी।
आपकी माया बेगम (Maya Begum)